लखनऊ। वर्तमान केंद्र और प्रदेश सरकार की मजदूर विरोधी जन विरोधी नीतियों के खिलाफ देश के केंद्रीय श्रम संगठनों और बैंक, बीमा, रक्षा, रेलवे,केन्द्रीय राज्य सरकार कर्मचारियों और सामान्य सेवा प्रतिष्ठानों की फेडरेशनों के संयुक्त मंच से पिछले कई वर्षों से देश की मेहनतकश जनता की मांगों को लेकर आंदोलन किया जा रहा है। धरना प्रदर्शनों के अलावा अभी तक 17 सालों में मजदूरों कर्मचारियों ने एकजुट होकर भाग लिया है। किंतु केंद्र व प्रदेश सरकार सरकारी मजदूर विरोधी नीतियों को आगे बढ़ा रही हैं। वर्तमान सरकार और उग्रता के साथ मजदूरों पर हमलावर है। श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी संशोधनों को आगे बढ़ाने में अदा है।
स्थिति यह हो गई है कि देश के मजदूरों का संगठन बनाना ही असंभव बताया जा रहा है। ऐसी स्थिति में केंद्रीय श्रम संगठनों एवं परिजनों की ओर से पिछली 28 सितंबर 2018 को दिल्ली के मावलंकर हॉल में कन्वेंशन किया गया था। इसमें अपनी कई मांगों पर कोई अमल करते हुए 8 और 9 जनवरी 2019 को दो दिवसीय आम हड़ताल का फैसला किया गया। इस क्रम में राजधानी लखनऊ के चारबाग में सैकड़ों की संख्या में मजदूरों ने इकट्ठे होकर मजदूरों की एकता के बल पर ही सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों का मुकाबला करने का लिए आंदोलन किया। सेंटर ऑफ इंडिया ट्रेड यूनियन के अध्यक्ष आरएस बाजपेयी ने कहा हमारा आंदोलन मजदूर विरोधी नीतियों को बदलने के लिए है। यदि सरकारें मजदूर विरोधी नीतियों को नहीं बदलती है तो मजदूर मजदूरों को इन सरकारों को बदल देना होगा। हमें अपने आंदोलन को उच्च स्तर पर ले जाने के लिए ट्रेड यूनियन की एकता को मजदूर वर्ग एकता में बदलना होगा।