लखनऊ। पूर्वांचल में सपा के कद्दावर नेता डॉ पी के राय भाजपा का दामन थाम कर कमल खिलाने की मुहिम में जुट गए। पिछले विधानसभा चुनाव में गठबंधन के चलते सपा के टिकट से वंचित रह गए डॉ. राय ने पार्टी से बगावत कर चुनाव लड़ा था और 30 हजार मत प्राप्त किया था जिसके चलते चुनाव के दौरान सपा ने उन्हें पार्टी से निष्काषित कर दिया था। विधानसभा चुनावों के बाद से ही नेपथ्य में चले गए डॉ. राय ने शुक्रवार को राजधानी स्थित पार्टी मुख्यालय में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र पांडेय व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्या तथा रीता बहुगुणा जोशी के समक्ष भाजपा में शामिल हो गए।
उल्लेखनीय है कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पूर्व मंत्री और पूर्व सांसद रामायण राय के छोटे भाई डॉ पी के राय ने लखनऊ के केजीएमसी से डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी करने के बाद तमकुही सरकारी अस्पताल में बतौर सरकारी डॉक्टर तैनात रहे। यहाँ से गोरखपुर सदर अस्पताल होते हुए बलरामपुर हॉस्पिटल लखनऊ में बतौर चिकित्सक योगदान दिया। राजनैतिक परिवार से ताल्लुक रखने वाले डॉ राय की भी राजनीति में जाने की इच्छा थी लिहाज पहले वह डॉक्टरों के संगठन पीएमएस के प्रदेश महासचिव और फिर प्रदेश अध्यक्ष बने। वर्ष 1992 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह को बतौर अध्यक्ष डॉक्टरों के सम्मेलन में बुलाकर उन्होंने उनके नेतृत्व में अपनी राजनैतिक पारी का आगाज करने की इच्छा जताई। मुलायम सिंह से हरी झंडी मिलने के बाद वह सरकारी सेवा से वीआरएस लेकर संस्थापना काल से ही सपा से जुड़ गए
सपा में वह कुशीनगर में पार्टी के जिला महासचिव बने पार्टी ने 1996 में उन्हें सेवरही से टिकट दिया लेकिन इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद 2002 में पार्टी ने उन्हें पुनः सेवरही से ही टिकट दिया इस बार सेवरही से जीत दर्ज कर उन्होंने सपा का खाता खोला। पढ़ा लिखा होने तथा तेज तर्रार कार्यशैली के चलते पहली बार के बिधायक को तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने इलेक्ट्रानिक चैनलों द्वारा विधायको के घुस लिए जाने के स्टिंग किये जाने सम्बन्धी मामले में जांच के लिए बनाई गई स्टिंग कमेटी का चेयरमैन बनाकर राज्यमंत्री का दर्जा दिया था। अपने पहले ही कार्यकाल में पार्लियामेंट्री मामलों का अध्ययन करने के लिए 5 यूरोपीय देशों का भ्रमण किया था।
2007 में वह सेवरही से लगातार दूसरी बार बिधायक चुने गए और 2008 से लेकर 2012 तक लगातार चार साल तक लोक लेखा समिति (पीएसी) के चेयरमैन रहे। 2012 में वह हैट्रिक नही लगा पाये और उन्हें हार का सामना करना पड़ा लेकिन पार्टी में पकड़ के चलते हार के बाद भी पार्टी ने उन्हें एक साल के लिए सामान्य प्रशासन, लोहिया आवास और सौर्य ऊर्जा का सलाहकार बनाकर राज्यमंत्री का दर्जा दिया था। 2017 में सपा ने उन्हें एक बर्ष पहले ही प्रत्याशी घोषित कर दिया लेकिन अंत समय मे गठबंधन का हवाला देकर उन्हें साइकिल से पैदल कर दिया। लिहाज वह बगावत कर मैदान में कूद पड़े लेकिन उन्हें मात्र 30 हजार वोट मिले और हार का सामना करना पड़ा।
सूत्रों की माने तो सपा में जारी पारिवारिक अंतर्कलह के चलते उन्होंने सपा में वापस जाने के बजाय भाजपा में जाना बेहतर समझा और आज वह भाजपा में शामिल हो गए। डॉ राय की पत्नी सीएम सिटी गोरखपुर की प्रख्यात चिकित्सक है और सूत्रों की माने तो डॉक्टर दंपति को मंदिर के तरफ से आशीर्वाद मिल चुका है।