नई दिल्ली : सपा के कई एमएलसी भाजपा के संपर्क में हैं। बातचीत अगर सही दिशा में आगे बढ़ती रही तो जल्द ही ये एमएलसी इस्तीफा देकर पाला बदल सकते हैं। इसे राज्यसभा की तर्ज पर विधान परिषद में पर्याप्त संख्या बल जुटाने की भाजपा की रणनीति के तहत देखा जा रहा है। वर्तमान में 55 सदस्यों के साथ विधान परिषद में सपा सबसे बड़ा दल है। भाजपा के 21, बसपा के 8 एमएलसी हैं। कांग्रेस के दो सदस्य हैं, लेकिन इनमें से दिनेश प्रताप सिंह सिर्फ औपचारिक रूप से ही कांग्रेस के साथ हैं। वे भाजपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं। कांग्रेस ने उनकी सदस्यता रद्द करने के लिए सभापति को याचिका दी है। विधान परिषद में सपा के बहुमत के चलते अक्सर ही कई महत्वपूर्ण बिल अटक जाते हैं। यहां तक कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जब अपनी बात रखने विधान परिषद में पहुंचते हैं, तो सपा सदस्यों के संभावित व्यवधान के मद्देनजर जवाब देने के लिए कई मंत्रियों को भी जाना पड़ता है। इस स्थिति को खत्म करने के लिए भाजपा के रणनीतिकारों ने विधान परिषद में सपा का वर्चस्व तोड़ने की योजना बनाई है। इसके तहत सपा के 7-8 एमएलसी इस्तीफा देकर भाजपा में जा सकते हैं। सपा के एमएलसी की संख्या 50 से नीचे पहुंचते ही भाजपा सरकार की राह आसान हो जाएगी। इसके बाद पार्टी शिक्षक दल, निर्दल समूह, निर्दलीय, असंबद्ध व अपना दल (सोनेलाल) के सदस्यों को साधकर कोई भी बिल विधान परिषद में पास कराने की स्थिति में होगी।
सूत्रों के मुताबिक, स्नातक सीट से भाजपा से टिकट मांग रहे सपा के एक मौजूदा एमएलसी का दो-चार दिन में ही भाजपा में शामिल होना तय है। इनका कार्यकाल अगले वर्ष अप्रैल तक है। इन एमएलसी से जुड़े एक विद्यालय को अनुदान पर लेकर उन्हें उपकृत भी किया जा चुका है। सपा के एक एमएलसी के होर्डिंग पर सपा छोड़कर भाजपा में आने के बाद राज्यसभा सदस्य चुने गए नीरज शेखर की फोटो लगी है। इसे सपा एमएलसी की निष्ठा में बदलाव का संकेत माना जा रहा है। सपा में लंबे समय से उपेक्षित एक अन्य ‘प्रतिभावान’ एमएलसी भी जाने वालों की लाइन में हैं। एक एमएलसी ऐसे भी हैं, जो कभी सपा अध्यक्ष के काफी विश्वासपात्र थे, पर कारोबारी मजबूरियां उन्हें अलग रास्ता पकड़ने के लिए मजबूर कर सकती हैं। इधर, कुछ दिनों से सपा हाईकमान की नजर में इस एमएलसी की ‘स्वामी भक्ति’ भी संदिग्ध मानी जा रही है। सूत्रों का कहना है कि इस्तीफा देकर साथ आने वाले कुछ सदस्यों को भाजपा फिर से सदन में भेजेगी।