बहराइच। थाना रुपईडीहा अंतर्गत ग्राम रामनगर में रात्रि में हुए दम्पत्ति हत्या कांड के खुलासे के सम्बन्ध पुलिस अधीक्षक डा0 गौरव ग्रोवर द्वारा आदेश दिया गया था इस आदेश के अनुपाल में अपर पुलिस अधीक्षक रविन्द्र सिंह व क्षेत्राधिकारी नानपारा अरुण चन्द्र के कुशल नेतृत्व में घटना के अनावरण का प्रयास प्रभारी निरीक्षक व निरीक्षक अपराध तथा गठित टीम द्वारा किया गया । विवेचना से थाना पर पंजीकृत मु0अ0सं0 0203 /19 धारा 302 भादवि0 बनाम अज्ञात का सफल अनावारण करते हुए प्रकाश में आये अभियुक्त जगन्नाथ गिरि पुत्र स्व0 अनुराग गिरि निवासी बस्तीगांव थाना रुपईडीहा को समय रेलवे स्टेशन बहराइच मालगोदाम रोड से गिरफ्तार कर अभियुक्त उपरोक्त को न्यायिक अभिरक्षा में माननीय न्यायालय सदर रवाना किया गया। प्राप्त समाचार के अनुसार अभियुक्त जगन्नाथ गिरि पुत्र स्व0 अनुराग गिरि निवासी बस्तीगांव थाना रुपईडीहा मृतक मोहन गिरि व मृतका चन्द्रावती का सगा भतीजा है जो कि एक शातिर किस्म का सजायाफ्ता अपराधी है जगन्नाथ स्मैक पीने का आदी है अपने पिता के मृत्यु के उपरान्त पिता के नाम की 25 बीधे सम्पत्ति औने पौने दाम में बेच कर खा पी गया । वर्ष 2005 में अपने ही ग्राम सभा के मेडी लाल पुत्र बहोरे चमार निवासी बस्ती गांव दा0 बसंतपुर ऊदल थाना रुपईडीहा के लड़के राजेश की हत्या कर दिया था जिसके सम्बन्ध में थाना स्थान पर पंजीकृत हुआ था तथा जिसमें अभियुक्त जगन्नाथ उपरोक्त को स्पेशल जज एस0सी०/एस0टी0 एक्ट द्वारा 07 वर्ष का कारावास व 25000 रुपया जुर्माना किया गया था जेल से रिहा होने के उपरान्त इसकी नजर अपने चाचा – चाची की 25 बीघे जमीन पर थी क्योकि चाचा चाची के एक औलाद थी जो मन्द बुद्धि का था आज से 15-20 वर्ष पूर्व से लापता है ।
जिसका कोई अतापता नही है। जेल जाने से पहले सम्पत्ति के लिए अपने चाचा – चाची को अक्सर मारता पीटता रहता था जब जगन्नाथ जेल चला गया तो चाचा ने अपनी पूरी सम्पत्ति अपनी पत्नी के नाम वसीयत कर दिया। इसके अतिरिक्त वर्ष को अपनी सम्पत्ति में 08 बीघे जमीन अपनी पत्नी चन्द्रावती के नाम रजिस्ट्री बैनामा कर दिया तथा शेष सम्पत्ति की रजिस्ट्री करने हेतु पैसो का इन्तजाम कर रहे थे जब इस बात की जानकारी अभियुक्त को हुई तब अभियुक्त ने सोचा की चाचा की पूरी सम्पत्ति चाची के परिवार के हाथ चली जायेगी यह सोचकर अभियुक्त ने निर्णय लिया कि अब दोनो का जिन्दा रहना मेरे हित में ठीक नही है । इसी आक्रोश में आकर घर में घुस अपनी चाची चन्द्रावती का गला काट कर एंव चाचा मोहन गिरि का गला रस्सी से कस कर रात में हत्या कर दी थी ।