संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र मानवीय सहायता प्रमुख ने म्यांमा के सैन्य नेतृत्व से आग्रह किया है कि बढ़ती असुरक्षा और हिंसा, कोविड-19 तथा गिरती अर्थव्यवस्था के मद्देनजर देश के 30 लाख लोगों को मानवीय सहायता निर्बाध उपलब्ध कराई जाए। संयुक्त राष्ट्र मानवीय सहायता प्रमुख मार्टिन ग्रिफिथ्स ने सोमवार को कहा कि म्यांमा में सेना द्वारा एक फरवरी को सत्ता हथियाने के बाद से 30 लाख लोगों को ”जीवन रक्षक” मानवीय सहायता की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि म्यांमा संकट के शांतिपूर्ण समाधान और हिंसा को खत्म किये बिना कष्ट झेल रहे लोगों की संख्या में इजाफा ही होगा। ग्रिफिथ्स ने कहा कि सेना द्वारा आंग सान सू ची की सरकार को सत्ता से बेदखल किए जाने के बाद 38 करोड़ 50 लाख डॉलर की सहायता राशि की जरूरत है, जिसमें से आधी राशि की ही व्यवस्था हो सकी है।
उन्होंने अन्य देशों से मदद के लिए आगे आने का आग्रह किया। म्यांमा में 2020 में हुए चुनाव की सोमवार को पहली वर्षगांठ थी। संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टीफेन दुजारिक ने कहा कि इन चुनावों को घरेलू और अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों द्वारा स्वतंत्र तथा पारदर्शी करार दिया गया था। उन्होंने कहा, “संयुक्त राष्ट्र (म्यांमा की) सेना से पुनः अपील करता है कि जनता की इच्छा का सम्मान किया जाए और देश में फिर से लोकतांत्रिक प्रक्रिया बहाल की जाए।” उन्होंने कहा कि म्यांमा में बढ़ती हिंसा के बारे में संयुक्त राष्ट्र बेहद चिंतित है और निर्बाध मानवीय सहायता की वकालत करता है।