भगवान शिव की साधना के लिए समर्पित श्रावण मास 17 जुलाई से प्रारंभ होकर 15 अगस्त 2019 तक रहेगा। सावन के महीने में शिवलिंग की पूजा का अत्यधिक महत्व है। शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव के निराकार स्वरुप का प्रतीक ‘लिंग’ शिवरात्रि की पावन तिथि की महानिशा में प्रकट होकर सर्वप्रथम ब्रह्मा और विष्णु के द्वारा पूजित हुआ था। वातावरण सहित घूमती धरती या अनंत ब्रह्माण्ड का अक्स ही लिंग है, इसलिए इसका आदि व अंत भी देवताओं तक के लिए अज्ञात है। सौरमंडल के ग्रहों के घूमने की कक्षा ही शिव के तन पर लिपटे सर्प हैं।
प्रकृति से कुछ इस तरह है जुड़ा है शिवलिंग
मुण्डकोपनिषद के अनुसार सूर्य, चन्द्रमा और अग्नि ही उनके तीन नेत्र हैं। बादलों के झुरमुट जटाएं, आकाश जल ही सिर पर स्थित गंगा और सारा ब्रह्माण्ड ही उनका शरीर है। शिव कभी गर्मी के आसमान की तरह अर्थात् चांदी की तरह दमकते, तो कभी सर्दी के आसमान की तरह मटमैले होने से भभूत लपेटे तन वाले हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि शिव सीधे-सीधे ब्रह्माण्ड या अनंत प्रकृति की ही साक्षात मूर्ति हैं।
शिवलिंग की उत्पत्तिमानवीकरण में वायु प्राण, दस दिशाएं, पंचमुखी महादेव के दस कान, ह्रदय सारा विश्व, सूर्य नाभि या केंद्र और अमृत यानि जलयुक्त कमंडल हाथ में रहता है। शून्य, आकाश, अनंत, ब्रह्माण्ड और निराकार परम पुरुष का प्रतीक होने से इसे लिंग कहा गया है। स्कन्द पुराण में कहा है कि आकाश स्वयं लिंग है, धरती उसका पीठ या आधार है और सब अनंत शून्य से पैदा हो उसी में लय होने के कारण इसे लिंग कहा गया है।
शिवलिंग में होता है कई देवी-देवताओं का वास
शिवलिंग का पूजन-अभिषेक करने से सभी देवी-देवताओं के अभिषेक का फल उसी क्षण प्राप्त हो जाता है। श्रीलिंग पुराण के अनुसार शिवलिंग के मूल में ब्रह्मा, मध्य में तीनों लोकों के ईश्वर श्रीविष्णु तथा ऊपरी भाग में प्रणवसंज्ञक महादेव रूद्र सदाशिव विराजमान रहते हैं। लिंग की वेदी महादेवी अम्बिका हैं। वे (सत,रज,तम) तीनों गुणों से तथा त्रिदेवों युक्त रहती हैं। जो प्राणी उस वेदी के साथ लिंग की पूजा करता है, वह शिव-पार्वती की कृपा सहजता से प्राप्त कर लेता है। शिवलिंग पर जल से अभिषेक करने से सुख-सौभाग्य में वृद्धि, दूध से उत्तम संतान की प्राप्ति, गन्ने के रस से यश, मनोनुकूल पति/पत्नी की प्राप्ति, शहद से कर्ज मुक्ति, कुश के जल से रोग मुक्ति, पंचामृत से अष्टलक्ष्मी व तीर्थों के जल से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसी प्रकार तरह-तरह के सभी शिवलिंगों की पूजा सुख-सौभाग्य एवं सिद्धि प्रदान करने वाली होती है।
जानें किस शिवलिंग की पूजा मानी जाती है श्रेष्ठ
भगवान शंकर को पारा अतिप्रिय है तथा रसराज पारद शिव का शक्ति रुपी विग्रह होने के कारण ही समस्त असुर तथा देवी-देवताओं के लिए वंदनीय है। पारद शिवलिंग की पूजा को शास्त्रों में सर्वश्रेष्ठ बताया गया है। इस समूचे ब्रह्माण्ड में सर्वोत्तम दिव्य वस्तु के रूप में पूजित रससिद्ध पारद शिवलिंग समस्त दैहिक, दैविक एवं भौतिक महादु:खों से मुक्ति दिलाने वाला है। पारद शम्भुबीज है।
इस तरह हुई पारद शिवलिंग की उत्पत्ति
कहने का तात्पर्य यह कि पारद की उत्पत्ति महादेव के शरीर से उत्पन्न पदार्थ शुक्र से मानी गई है, इसलिए शास्त्रों में पारद को साक्षात् शिव का रूप माना गया है और पारद शिवलिंग का सबसे ज़्यादा महत्त्व बताकर उसे दिव्य बताया गया है। पारद शब्द में प-विष्णु, अ-अकार, र-शिव और द-ब्रह्मा का प्रतीक है। पारद एक विशिष्ट तरल अवस्था में धातु और स्वयं सिद्ध पदार्थ है। विशिष्ठ शास्त्रोक्त व तंत्रोक्त गोपनीय विधियों से व अनेक जड़ी-बूटियों की सहायता से दिव्य पारद शिवलिंग का निर्माण किया जाता है।
शीघ्र फल दिलाती है पारद शिवलिंग की साधना
शास्त्रों के अनुसार रावण रससिद्ध योगी था। पारद शिवलिंग की पूजा से शिव को प्रसन्न कर अनेक दिव्य शक्तियों को प्राप्त किया। वाणासुर ने भी पारद शिवलिंग की पूजा कर शिव से मनोवांछित वर प्राप्त किया। शिवमहापुराण में शिवजी का कथन है कि करोड़ों शिवलिंगों के पूजन से जो फल प्राप्त होता है, उससे भी करोड़ गुना अधिक फल पारद शिवलिंग की पूजा और उसके दर्शन मात्र से ही प्राप्त हो जाता है।
अनेकों जघन्य अपराध पारद शिवलिंग के दर्शन मात्र से दूर हो जाते हैं। इसके स्पर्श मात्र से मोक्ष की प्राप्ति होती है। जो मनुष्य पारद शिवलिंग की भक्ति पूर्वक पूजा-अभिषेक तथा दर्शन करता है, उसे तीनों लोकों में स्थित समस्त शिवलिंगों के पूजन का फल मिलता है एवं सौ अश्वमेघ यज्ञ करने के बराबर का फल प्राप्त होता है। यह सभी तरह के लौकिक तथा परलौकिक सुख देने वाला है। इस शिवलिंग का जहां पूजन होता है, वहां साक्षात शंकर का वास होता है।
कामनाओं के अनुसार करें शिवलिंग का पूजन
लिंग महापुराण के अनुसार रत्न निर्मित लिंग श्री (लक्ष्मी) प्रदान करने वाला, पाषाण निर्मित लिंग समस्त सिद्धियों को देने वाला, धातु निर्मित लिंग धन-संपत्ति देने वाला तथा काष्ठ निर्मित शिवलिंग भोग-सिद्धि प्रदान करने वाला है। इसी प्रकार शुद्ध मिट्टी से बना हुआ (पार्थिव) शिवलिंग सभी सिद्धियों की प्राप्ति कराने वाला माना गया है। शिवलिंग का अभिषेक करने से व्यक्ति के ग्रह-गोचर अनुकूल होने लगते हैं। घर से नकारात्मक ऊर्जा हमेशा के लिए दूर चली जाती है