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श्रम सुधारों से जुड़े तीन विधेयक लोकसभा में पेश

अशाेक यादव, लखनऊ। श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष गंगवार ने लोकसभा में श्रम कानूनों में व्यापक सुधारों से जुड़े तीन महत्वपूर्ण विधेयक-उपजीविकाजन्य सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्यदशा संहिता 2020, औद्योगिक संबंध संहिता 2020 और सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 पेश किये।

संतोष गंगवार ने इससे पहले सदन की अनुमति से गत वर्ष पेश उपजीविकाजन्य सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्यदशा संहिता 2019, औद्योगिक संबंध संहिता 2019 और सामाजिक सुरक्षा संहिता 2019 संबंधी विधेयक को वापस लिया। कांग्रेस की ओर से मनीष तिवारी और शशि थरूर ने इसका विरोध करते हुए कहा कि चूंकि इन विधेयकों का पूरा स्वरूप बदल चुका है लिहाजा नये सिरे से परामर्श किया जाना चाहिए।

शशि थरूर ने तीनों विधेयकों पर अपनी आपत्तियों को सामने रखा तो तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी ने आपत्ति व्यक्त करते हुए कहा कि विधेयक के पेश करने के समय ही उसके गुणदोष पर चर्चा की जाएगी तो विधेयक पर बहस के दौरान क्या किया जाएगा।

रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के एन के प्रेमचंद्रन ने तकनीकी आधार पर विरोध व्यक्त करते हुए कहा कि चूंकि विधेयकों को संसदीय स्थायी समिति के पास विचार के लिए भेजा गया था तो संसदीय समिति की अनुमति लेने के पश्चात ही इन्हें वापस लिया जाना चाहिए।

संतोष गंगवार ने आपत्तियों का जवाब देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विचार के अनुरूप 44 श्रम कानूनों को चार कानूनों में विलय करने का निर्णय 2014 में लिया गया था। सरकार ने इस बारे में व्यापक अध्ययन एवं परामर्श की प्रक्रिया के पश्चात इन विधेयकों को तैयार किया। इन पर श्रमिक संगठनों, नियोक्ताओं और सरकारी संस्थाओं तथा आम जनों के विचार प्राप्त किये गये।

उन्होंने कहा कि नौ त्रिपक्षीय बैठकें हुईं, चार उप समितियों की बैठकें हुईं, 10 क्षेत्रीय बैठकें आयोजित कीं गयीं तथा तत्पश्चात तीन महीने तक वेबसाइट पर इनके मसौदे को आम जन के सुझावों के लिए डाला गया जिसमें 6000 से अधिक सुझाव प्राप्त हुए। उन्होंने कहा कि इस फीडबैक के बाद ये तीन संहितायें बनायी गयीं हैं।

श्रम एवं रोजगार मंत्री ने कहा कि गत वर्ष जब इनको सदन में पेश किया गया तो इन्हें गहन विचार के लिए श्रम एवं रोजगार संबंधी संसदीय स्थायी समिति के समक्ष भेजा गया था। भर्तृहरि मेहताब की अध्यक्षता वाली स्थायी समिति ने बारीकी से अध्ययन के बाद 233 सिफारिशें कीं थीं जिनमें से 174 सिफारिशों को स्वीकार कर लिया गया है।

चूंकि 74 प्रतिशत सिफारिशों को स्वीकार करने से विधेयकों के स्वरूप में आमूल-चूल बदलाव आया है, इसलिए गत वर्ष पेश विधेयकों को वापस लेकर नये विधेयक पेश किये जा रहे हैं। बाद में अध्यक्ष की अनुमति से श्री गंगवार ने पुराने विधेयक वापस लिये और नये विधेयक पेश किये।

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