उत्तराखंड के उच्च गढ़वाल हिमालयी क्षेत्र में स्थित विश्व प्रसिद्ध गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट मंगलवार को अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर श्रद्धालुओं के दर्शन के लिये खोल दिये गये और इसी के साथ इस वर्ष की चारधाम यात्रा का आरंभ हो गया। गढ़वाल हिमालय के चारधामों के नाम से प्रसिद्ध दो अन्य धामों, केदारनाथ के कपाट नौ मई को जबकि बदरीनाथ के कपाट 10 मई को खुलेंगे। विधिवत हवन, पूजा-अर्चना, वैदिक मंत्रोच्चारण एवं धार्मिक रीति-रिवाजों के साथ मां गंगा के धाम गंगोत्री के कपाट पूर्वाहन 11.30 बजे खोल दिए गए।
कपाट खुलने के अवसर पर बीसियों की संख्या में श्रद्धालु मंदिर परिसर में मौजूद थे जिन्होंने मां गंगा के जयकारे लगाए। इस मौके पर गढ़वाल आयुक्त डॉ. बीवीआरसी पुरुषोत्तम आदि वरिष्ठ प्रशासनिक और धार्मिक अधिकारी मौजूद थे। वहीं, मां यमुना को समर्पित यमुनोत्री धाम के कपाट भी दोपहर बाद सवा बजे पर श्रद्धालुओं के लिये खोल दिये गये। केंद्रीय मंत्री उमा भारती भी यमुनोत्री के निकट बर्नीगाड़ पहुंची जहां उन्होंने यमुना में स्नान किया। इससे पहले, यमुना के शीतकालीन प्रवास स्थल खरसाली से मां यमुना की भव्य रूप से सजायी गयी डोली यमुनोत्री के लिए रवाना हुई।
रवाना होने से पूर्व स्थानीय लोगों ने पारंपरिक लोक नृत्य किया। हर साल अप्रैल-मई में शुरू होने वाली चारधाम यात्रा के शुरू होने का स्थानीय जनता को भी इंतजार रहता है। छह माह तक चलने वाली इस यात्रा के दौरान देश-विदेश से आने वाले लाखों श्रद्धालु और पर्यटक जनता के रोजगार और आजीविका का साधन हैं और इसीलिए चारधाम यात्रा को गढ़वाल हिमालय की आर्थिकी की रीढ़ माना जाता है । चारों धामों के सर्दियों में भारी बर्फवारी और भीषण ठंड की चपेट में रहने के कारण उनके कपाट हर साल अक्टूबर-नवंबर में श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिये जाते हैं जो अगले साल दोबारा अप्रैल-मई में फिर खोल दिये जाते हैं।