नई दिल्ली : भारतीय शेयर बाजार में बीता जुलाई का महीना बेहद खराब रहा। इस महीने में शेयर बाजार में 17 साल की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। आंकड़े के मुताबिक जुलाई 2019 में निफ्टी 5.68 फीसदी जबकि सेंसेक्स में 4.86 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। शेयर बाजार की ऐसी बुरी हालत साल 2002 में देखने को मिली थी जब जुलाई के महीने में निफ्टी करीब 9.3 फीसदी और सेंसेक्स करीब 8 फीसदी तक टूट गया था। 5 जुलाई को आम बजट पेश होने के बाद शेयर बाजार ने ऐतिहासिक गिरावट देखी गई। इसके अलावा मॉनसून में देरी, कंपनियों के खराब नतीजे और सुस्त आर्थिक ग्रोथ की वजह से भी बाजार की हालत पस्त हो गई।
दरअसल, निवेशकों को आम बजट से काफी उम्मीदें थी लेकिन उन्हें निराशा हाथ लगी। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के लिए भी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स बढ़ा दिया गया। साथ ही अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने बुधवार को मुख्य ब्याज दर में 0.25 फीसदी की कटौती की। इसका असर यह हुआ कि बाजार को लगा कि आगे अब और रेट कट नहीं होने वाला। भारी मात्रा में विदेशी पूंजी की निकासी और कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से गुरुवार को शुरुआती कारोबार में डॉलर के मुकाबले रुपया 41 पैसे गिरकर 69.20 के स्तर पर पहुंच गया। रुपए में गिरावट का विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफपीआई) के मुनाफे पर प्रतिकूल असर पड़ा, जिसके कारण उन्होंने बिकवाली तेज कर दी।