दिल्ली: कांग्रेस की दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष शीला दीक्षित ने आम आदमी पार्टी संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधा है. उन्होंने केजरीवाल पर उनकी सेहत को लेकर अफवाह फैलाने का आरोप लगाया है. शीला दीक्षित ने अरविंद केजरीवाल को घर पर भोजन के लिए आमंत्रित करते हुए सेहत देखने की अपील की है. शीला दीक्षित ने शनिवार को ट्वीट कर कहा-अरे भाई मेरी सेहत को ले कर क्यूं ग़लत अफ़वाहें फैला रहे हो? अगर कोई काम नहीं हो तो आ जाओ भोजन पर.मेरी सेहत भी देख लेना, भोजन भी कर लेना और अफ़वाहें फैलाए बिना चुनाव लड़ना भी सीख लेना.
जब शीला दीक्षित ने अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधा तो फिर कुमार विश्वास कहां चूकने वाले थे. कुमार विश्वास ने शीला दीक्षित के ट्वीट को रिट्वीट करते हुए कहा- बे तो तीन महीने से चक्कर लगा रए थे आपके दरवज्जे पै, आप नैई दरवज्जा नई खोला. हाँ नईं तो…शीला दीक्षित उत्तर-पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रही हैं और इनका मुकाबला इस बार बीजेपी दिल्ली के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी से होगा जो अभी मौजूदा सांसद भी हैं. शीला दीक्षित के लिए यह चुनाव कई मायनों में खास होने वाला है, क्योंकि शीला दीक्षित 15 साल तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं और अब वह लंबे समय बाद लोकसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमाने मैदान में उतरी हैं.
15 साल तक दिल्ली की सत्ता पर काबिज रहने वालीं शीला दीक्षित इससे पहले 1984 से 89 तक वे कन्नौज (उप्र) से सांसद रह चुकी हैं. इस दौरान वे लोकसभा की समितियों में रहने के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र में महिलाओं के आयोग में भारत की प्रतिनिधि रहीं. वह राजीव गांधी सरकार में केन्द्रीय मंत्री भी रह चुकी हैं. शीला दीक्षित 1998 से 2013 तक लगातार 15 साल दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं. हालांकि, 2013 में आम आदमी पार्टी के उफान में शीला दीक्षित की सरकार बह गई. हालांकि, माना जाता है कि शीला दीक्षित की हार में एंटी इनकंबेंसी भी हावी रहा. इसके बाद वह 2014 में केरल की राज्यपाल भी रहीं.
शीला दीक्षित का जन्म 31 मार्च, 1938 को पंजाब के कपूरथला में हुआ है. शीला दीक्षित ने दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस से इतिहास में मास्टर डिग्री हासिल की है. उनका विवाह उन्नाव (यूपी) के आईएएस अधिकारी स्वर्गीय विनोद दीक्षित से हुआ था. विनोद कांग्रेस के बड़े नेता और बंगाल के पूर्व राज्यपाल स्वर्गीय उमाशंकर दीक्षित के बेटे थे. शीलाजी एक बेटे और एक बेटी की मां हैं. उनके बेटे संदीप दीक्षित भी दिल्ली के सांसद हैं. दरअसल, मिरांडा हाउस से पढ़ाई के दौरान ही उनकी राजनीति में रुचि थी. शीला दीक्षित अपनी काम की बदौलत कांग्रेस पार्टी में पैठ बनाती चली गईं.
सोनिया गांधी के सामने भी शीला दीक्षित की एक अच्छी छवि बनी और यही वजह है कि राजीव गांधी के बाद सोनिया गांधी ने उन्हें खासा महत्व दिया. साल 1998 में शीला दीक्षित दिल्ली प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष बनाई गईं. 1998 में ही लोकसभा चुनाव में शीला दीक्षित कांग्रेस के टिकट पर पूर्वी दिल्ली से चुनाव लड़ीं, मगर जीतन नहीं पाईं. उसके बाद उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ना छोड़ दिया और दिल्ली की गद्दी की ओर देखना शुरू कर दिया. दिल्ली विधानसभा चुनाव में उन्होंने न सिर्फ जीत दर्ज की, बल्कि तीन-तीन बार मुख्यमंत्री भी रहीं.