वाराणसी: प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में शिवसेना के कार्यकर्ताओं की शनिवार को तिरंगा जुलूस निकालते समय पुलिस से नोकझोंक हो गई। जिसके बाद पुलिस ने सभी को गिरफ्तार कर लिया। शिवसेना नेता का कहना है कि आजादी के इतने सालों बाद भी तिरंगा ना फहराने देना बेहद शर्मनाक है। शिवसेना उत्तर भारत के फायरब्रांड नेता अरुण पाठक ने बताया कि अस्सी घाट से तिरंगा लेकर अपने सैकड़ों शिवसैनिक व सहयोगियों के साथ शनिवार दोपहर जुलूस निकाला गया। वहीं, लोलार्क कुंड के नुक्कड़ पर भारी संख्या में पहले से तैनात पुलिस बल और पीएससी के जवान व कई थानों के थानेदारों से तीखी नोकझोंक के साथ ही हाथापाई हुई। इसके बाद मुझे और मेरे सहयोगियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया, जो दुर्भाग्यपूर्ण है। हर साल पुलिस और प्रशासन के लोग ये कहते थे कि माधवराव धौरहरा पे झंडा फहराने से मुस्लिम वर्ग नाराज हो जाएगा।
इसलिए हमने इस बार मुस्लिम समाज के दर्जनों लोगों को भी इस तिरंगा जुलूस में शामिल किया था। इसके बाद भी हमें गिरफ्तार किया गया। उन्होंने कहा कि शिवसैनिक काशी को कश्मीर नहीं बनने देंगे। अगर हम भारत में तिरंगा नहीं फहरा सकते तो क्या इसके लिए पाकिस्तान जाएं? प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में झंडा फहराने के जुर्म में गिरफ्तार करना बेहद शर्मनाक है। बता दें कि इसके पहले शिवसेना के नेता अरुण पाठक ने शुक्रवार को ही बताया था कि 26 जनवरी को दोपहर शिवसैनिक अस्सीघाट पर एकत्रित होकर वहां से तिरंगा जुलूस निकालेंगे। उन्होंने बताया कि माधवराव धरहरा पर तिरंगा फहराने के जुर्म में सन् 1995 और 1997 में हमको जेल भी भेजा गया और उसके बाद निरंतर हर स्वंतत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस राष्ट्रीय पर्वों पर हमें तिरंगा फहराने के जुर्म में गिरफ्तार किया जाता है।
आजादी भारत में तिरंगा झंडा फहराने पर गिरफ्तार किया जाना गुलाम मानसिकता और तुष्टिकरण की राजनीति का परिचायक है। माधवराव धरहरा राष्ट्रीय धरोहर है हम वहां किसी धर्म विशेष का नहीं बल्कि राष्ट्रीय ध्वज फहराने की अनुमति चाहते हैं। इस बाबत कई बार प्रधानमंत्री मोदी, मुख्यमंत्री योगी और वाराणसी के जिलाधिकारी को पत्र लिखकर वहां तिरंगा झंडा फहराने की अनुमति मांगी गयी। लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब नहीं दिए जाने पर शिवसैनिक स्वयं देश के सम्मान की रक्षा के लिए वहां तिरंगा झंडा फहराएंगे। चाहे तिरंगा फहराने पर गिरफ्तार कर लिया जाये या जलियावाला बाग़ जैसे गोलियां चलवा दी जाये। हम भी अपनी शहादत देने को तैयार हैं।