लखनऊ : कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की राजनीतिक यात्रा इस समय ‘भक्ति मार्ग’ पर चल रही है. गुजरात चुनाव के समय से शुरू हुआ यह सिलसिला कर्नाटक और अब लगता है लोकसभा चुनाव तक जारी रहेगा. कभी उनकी पार्टी ने ब्राह्णमण बताया तो कभी वह खुद भक्ति के रूपों में सामने आए हैं. कैलाश मानसरोवर की यात्रा से आए राहुल गांधी जब अपने संसदीय क्षेत्र अमेठी पहुंचे तो उनको पोस्टरों में वह शिवभक्त के रूप में नजर आए. इसके बाद जब वह चित्रकूट पहुंचे तो वहां ‘राम भक्त पंडित राहुल’ का पोस्टर सामने आया था.
इससे पहले भोपाल में लगे होर्डिंग मे राहुल को शिवभक्त बताया गया था. संवाददाताओं ने जब प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ से सवाल किया तो उन्होंने कहा,”सॉफ्ट या हार्ड हिंदुत्व नहीं होता, हम सब धर्मप्रेमी हैं. धर्म को राजनीतिक मंच पर नहीं लाते. जब हम मंदिर जाते है, तो भाजपा वालों के पेट में दर्द होता है. क्या उन्होंने धर्म का ठेका लिया हुआ है.”
आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव 2014 में मिली कांग्रेस को करारी हार के बाद एके एंटनी समिती ने अपनी रिपोर्ट ने बताया कि इस हार के पीछे कांग्रेस का अल्पसंख्यक तुष्टिकरण वाली नीति है.
इसकी शुरुआत गुजरात विधानसभा चुनाव में देखने को मिली जहां पर राहुल गांधी ने राज्य के सभी बड़े मंदिरों के दर्शन कर डाले.