लखनऊ / देहरादून : 57 वर्षीय शिक्षिकाउत्तरा बहुगुणा पंत के प्रकरण ने मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की पत्नी सुनीता रावत की खुशहाल जिन्दगी में समस्या पैदा हो गयी है। उन पर विभाग को सूचना दिए बगैर करोड़ों की ज़मीन खरीदने का आरोप है. यही नहीं आरटीआई से मिली जानकारी से पता चला है कि देहरादून के अजबपुर कलां में सुनीता रावत 1996 से यानि 22 सालों से एक ही स्कूल में तैनात हैं. इस दौरान उन्हें 2008 में प्रमोशन भी मिला. आम तौर पर प्रमोशन के साथ ट्रांसफर भी होता है. दूसरी तरफ 57 वर्षीय उत्तरा बहुगुणा पंत पिछले 25 साल से उत्तरकाशी में काम कर रही हैं. 2015 में पति के गुज़र जाने के बाद अब वो बच्चों के साथ रहने के लिए देहरादून ट्रांसफर मांग रही थीं, जिस पर जनता दरबार में उनकी मुख्यमंत्री से बहस हो गई, गुस्साए मुख्यमंत्री ने उन्हें जेल भिजवा दिया और निलंबित कर दिया. बाद में निजी बांड पर वह छूटीं, लेकिन अभी भी निलंबित हैं. इस बीच निलंबित टीचर को राहत की खबर मिल रही है, उनका कहना है कि शिक्षा मंत्री ने उनको फोन करके समस्या का समाधान करने का वादा किया है. आपको बता दें कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के जनता दरबार में महिला टीचर उनसे उलझ पड़ी थीं. मुख्यमंत्री से तबादले की अपील करते हुए महिला टीचर काफ़ी आवेश में आ गई, जिसके बाद मुख्यमंत्री भी भड़क गए और महिला को निलंबित करने और हिरासत में लेने का आदेश दे दिया. जनता दरबार में पहुंची शिक्षिका उत्तरा बहुगुणा पंत ने कहा था कि वह पिछले 25 साल से दुर्गम क्षेत्र में अपनी सेवायें दे रही है और अब अपने बच्चों के साथ रहना चाहती हैं. उन्होंने कहा कि उनके पति की मृत्यु हो चुकी है और अब वह देहरादून में अपने बच्चों को अनाथ नहीं छोड़ना चाहतीं.
उत्तरा ने कहा, ”मेरी स्थिति ऐसी है कि ना मैं बच्चों को अकेला छोड़ सकती हूं और ना ही नौकरी छोड़ सकती हूं”. मुख्यमंत्री द्वारा यह पूछे जाने पर कि नौकरी लेते वक्त उन्होंने क्या लिख कर दिया था? उत्तरा ने गुस्से में जवाब दिया कि उन्होंने यह लिखकर नहीं दिया था कि जीवन भर वनवास में रहेंगी. इससे मुख्यमंत्री भी आवेश में आ गये और उन्होंने शिक्षिका को सभ्यता से अपनी बात रखने को कहा, लेकिन जब उत्तरा नहीं मानीं तो उन्होंने संबंधित अधिकारियों को उन्हें तुरंत निलंबित करने और हिरासत में लेने के निर्देश दे दिये. सरकारी सूत्रों ने बताया कि शिक्षिका को मुख्यमंत्री के निर्देश पर निलंबित कर दिया गया है. हालांकि, बाद में उन्हें हिरासत से रिहा कर दिया गया.