राहुल यादव, लखनऊ। प्रियंका गांधी ने आज फेसबुक पर एक कहानी पोस्ट की. साथ ही प्रियंका ने बताया कि किसी ने यह कहानी उन्हें लिख कर भेजी है. कहानी इस प्रकार है.
एक जहाज तूफान में फंसा हुआ था। कई लोग सबकी आंखों के सामने तूफान में डूब गए। कई लोगों के डूब जाने का खतरा था। जहाज में बैठे लोग, जहाज के छोटे-बड़े कर्मी सब जहाज को डूबने से बचाने में लगे थे। बहुत ही भयावह स्थिति थी फिर भी लोग साथ देकर एक दूसरे की हिम्मत बढ़ाते रहे। सबको ये भरोसा था कि जहाज का कैप्टन भी जहाज को बचाने का भरसक प्रयास कर रहा होगा। जब स्थिति ज्यादा बिगड़ने लगी तो लोगों ने जहाज के कैप्टन से अपील की। लेकिन लोग हतप्रभ रह गए जब उन्हें पता चला कि जहाज का कैप्टन तो गायब है। तमाम चीख-पुकारों, अपीलों को वो अनसुना करते हुए जिम्मेदारी की कुर्सी से उठकर कहीं चला गया था।
मगर लोग, छोटे-बड़े कर्मियों ने आशा नहीं छोड़ी। वे बचाव कार्य में लगे रहे। कई लोगों ने अपने साथी खो दिए, कई लोगों के सामने उनके अपने डूब गए। बहुत ही मार्मिक दृश्य था। मालूम करने पर पता चला कि जहाज के कैप्टन को पहले से जानकारी थी कि मौसम विपरीत होगा, जहाज डूब भी सकता है। लेकिन जहाज के कैप्टन ने न तो लोगों को समय पर आगाह किया, न ही लोगों की सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम और न ही जहाज का सुरक्षा कवच बढ़ाया।
और तो और जहाज के कैप्टन ने लोगों की सुरक्षा से जुड़ी कई आवश्यक चीजें दूसरे जहाजों को दे दीं।
लंबे समय तक ये मार्मिक दृश्य चलता रहा। लोगों एवं कर्मियों की मेहनत के बाद स्थिति कुछ नियंत्रण में आई। स्थिति नियंत्रण में आने के थोड़ी ही देर बाद अचानक कैप्टन की आवाज जहाज भर में गूंज उठी, एक के बाद एक लाऊडस्पीकर पर उसकी घोषणाएं आने लगीं, एक दिन तो उसकी आवाज़ अटकी और वह रोने भी लगा। जहाज पर फँसे हुए लोग अभी भी त्रस्त थे, कैप्टन की आवाज उन्हें सुनाई तो दे रही थी मगर कुछ दूर, कुछ अलग सी लगने लगी थी। एक दूसरे की मदद में सब व्यस्त थे, जाने अभी भी बचानी थीं। सबका ध्यान इन्हीं कार्यों में लगा हुआ था, किसी को पता तक नहीं लगा कि कैप्टन चुपचाप से बाहर आकर फिर से अपनी सीट पर बैठ गया था।
कुछ समय बाद प्रियंका गांधी के फिर से एक फेसबुक पोस्ट की. यह पोस्ट यूपी के बेसिक शिक्षा मंत्री के भाई गरीब बनकर असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति पाने के सम्बन्ध में थी. प्रियंका ने पोस्ट में लिखा, इस संकटकाल में यूपी सरकार के मंत्रीगण आम लोगों की मदद करने से तो नदारद दिख रहे हैं लेकिन आपदा में अवसर हड़पने में पीछे नहीं हैं।यूपी के बेसिक शिक्षा मंत्री के भाई गरीब बनकर असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति पा गए।
लाखों युवा यूपी में रोजगार की बाट जोह रहे हैं, लेकिन नौकरी “आपदा में अवसर” वालों की लग रही है।
ये गरीबों और आरक्षण दोनों का मजाक बना रहे हैं।
ये वही मंत्री महोदय हैं जिन्होंने चुनाव ड्यूटी में कोरोना से मारे गए शिक्षकों की संख्या को नकार दिया और इसे विपक्ष की साज़िश बताया।
क्या मुख्यमंत्री जी इस साज़िश पर कोई ऐक्शन लेंगे?
उसके बाद प्रियंका ने उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव में शिक्षकों की मौत को लेकर एक ट्वीट किया। उन्होंने कहा कि 1621 शिक्षकों की मौत सरकारी निष्ठुरता का शिकार न हो। प्रियंका ने अपने ट्वीट में कहा की, पंचायत चुनाव ड्यूटी के दौरान 1621 शिक्षकों की मौत सरकारी निष्ठुरता का शिकार न हो। उन्होंने ड्यूटी का कर्तव्य निभाया। अब उप्र सरकार लीपापोती न करके सभी मृत शिक्षकों, कर्मियों के परिवारों को 1 करोड़ मुआवजा व एक आश्रित को नौकरी दे। ये सच्ची श्रद्धाजंली होगी।