लखनऊ : कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शिक्षाविदों के साथ बातचीत में कहा कि आपको लगता है कि आप लोगों पर एक विचारधारा थोपी जा रही है। मैं समझता हूं कि आपको लग रहा है कि आपकी स्वतंत्रता पर हमला किया जा रहा है लेकिन आप अकेले नहीं है जो ऐसा महसूस कर रहे हैं। इस देश के मजदूर, शिक्षक और लगभग सभी ऐसा ही महसूस कर रहे हैं। मैं आपको बताना चाहूंगा कि ये देश ऐसा नहीं है जहां एक ही प्रकार का विचार सभी जगहों पर लागू हो सके।
राहुल ने कहा कि जहां तक भारतीय शिक्षा प्रणाली का संबंध है, दो चीजें ऐसी हैं जिन पर समझौता नहीं हो सकता। शिक्षकों को अपने आप में अभिव्यक्त करने में सक्षम होना चाहिए और शिक्षकों को उनके अपने भविष्य के लिए दृष्टिकोण दिया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हर कोई भारतीय शिक्षा प्रणाली की सफलता के बारे में बात करता है। जब ओबामा ने कहा कि अमेरिका के लिए असली चुनौती भारत से आने वाले इंजीनियर/डॉक्टर/ वकील हैं तो वो यहां की बिल्डिंग की नहीं बल्कि भारत के शिक्षकों की प्रशंसा कर रहे थे। हमारी प्रणाली की नींव सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली है। इसका मतलब यह नहीं है कि निजी संस्थानों के लिए कोई जगह नहीं है, लेकिन पथप्रदर्शक निश्चित तौर पर सार्वजनिक संस्थान होने चाहिए।
सरकार को शिक्षा को रणनीतिक संसाधन के तौर पर देखना चाहिए और इसके लिए पर्याप्त पैसा देना चाहिए। आजादी के बाद से हर सरकार ने सफलता हासिल की है। राजधानी में कांग्रेस अध्यक्ष करीब ढाई हजार बुद्धिजीवियों से रूबरू हुए।
राहुल गांधी ने कहा कि मोदी जी जब सत्ता में आए थे तो उन्होंने एक व्यक्ति को एसपीजी को प्रमुख चुना था। कुछ समय बाद उसने मुझसे कहा कि वह यह पद छोड़ रहा है। उसने कहा कि मुझे आरएसएस के लोगों की सूची दी गई है, जिसे भर्ती करना है, मैंने ऐसा करने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि मैंने मोहन भागवत को सुना। उन्होंने कहा कि हम पूरे देश को व्यवस्थित करने जा रहे हैं। मिस्टर मोहन भागवत क्या आप भगवान हैं, देश खुद अपने को संगठित करेगा। अगले कुछ महीनों में आपका सपना चकनाचूर हो जाएगा
राहुल गांधी ने कहा कि अमित शाह ने भारत के लिये कहा‘ये सोने की चिड़िया है’, यानी वो भारत को एक प्रॉडक्ट के तौर पर देखते हैं। ये आरएसएस और बीजेपी का दृष्टिकोण है।