उत्तराखंड: छठे वेतन आयोग की संस्तुतियों के आधार पर वेतन निर्धारण में नुकसान उठा रहे राजकीय, अशासकीय विद्यालयों के शिक्षकों को बड़ी राहत मिल गई है। इनकी वेतन वृद्धि पर शासन ने स्थिति स्पष्ट कर दी है। अब 2006 से वेतन वृद्धि नहीं पा रहे शिक्षकों को वेतन वृद्धि मिलेगी और अधिक वेतन पाने वाले शिक्षकों से वसूली भी नहीं होगी। जिन शिक्षकों को सीधी भर्ती के शिक्षकों के समान न्यूनतम वेतन का लाभ नहीं मिल रहा था, उन्हें अब पदोन्नति की तिथि से नोशनल तथा 28 दिसंबर 2018 से वास्तविक रूप से समकक्ष ग्रेड वेतन के हिसाब से न्यूनतम वेतन का लाभ मिलेगा। इन दोनों स्थितियों में करीब छह हजार शिक्षकों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से लाभ मिलेगा। जिन शिक्षकों से वसूली हो चुकी है, उन्हें अब विभाग की ओर से वसूली गई रकम लौटाई जाएगी।
वित्त ने दोनों शासनादेश जारी कर दिए हैं। छठे वेतन आयोग की संस्तुतियों के आधार पर शिक्षा विभाग के प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षकों को एक जनवरी 2006 से उच्चीकृत वेतनमान का लाभ दिया गया था। वास्तविक रूप से इन्हें इसका फायदा एक अप्रैल 2009 से मिलना शुरू हुआ। बाद में जारी हुए शासनादेशों में वेतन निर्धारण को लेकर संशय उठ खड़ा हुआ। यह साफ नहीं हो रहा था कि इन शिक्षकों को उच्चीकृत वेतनमान एक जुलाई 2006 से मिलेगा या उच्चीकृत वेतनमान में वेतन निर्धारण के बाद एक वर्ष बाद से देय होगा। अब वित्त विभाग ने साफ कर दिया है कि वेतन निर्धारण होने पर वार्षिक वेतन वृद्धि जनवरी 2006 या जुलाई 2006 से होगी।
यह साफ होने से उन शिक्षकों को भी राहत मिली है, जिनके ऊपर अधिक वेतन वृद्धि के नाम पर वसूली की तलवार लटकी हुई थी। शिक्षा विभाग ने प्रत्येक जिले में इस तरह के शिक्षकों से वेतन वसूली शुरू तक कर दी थी। इसी तरह वित्त ने यह साफ कर दिया है कि पदोन्नति के पदों पर ग्रेड वेतन के सापेक्ष न्यूनतम वेतन से कम निर्धारण होने पर भी समकक्ष ग्रेेड वेतन में न्यूनतम वेतन दिया जाएगा। सीधी भर्ती या पदोन्नति दोनों तरह से नियुक्ति वाले पदों पर न्यूनतम वेतन से कम मिलने पर पदोन्नति की तिथि से नोशनल और 18 दिसंबर 2018 से वास्तविक लाभ दिया जाएगा। राजकीय शिक्षक संघ पिछले 10 साल से इस बात के लिए संघर्ष करते आ रहे हैं। यह दोनों आदेश होने से करीब छह हजार शिक्षकों को किसी न किसी रूप में फायदा होगा। सबसे बड़ी बात यह है कि शिक्षकों को वसूली के डर से निजात मिलेगी।