विधि के एक छात्र ने जिला उपभोक्ता आयोग संभल में शहद बनाने वाली नौ नामचीन कंपनियों के खिलाफ परिवाद दर्ज कराया है। सेंटर फार साइंस एंड एनवायरमेंट नई दिल्ली की रिपोर्ट का हवाला देते हुए वादी ने नौ कंपनियों पर शहद के नाम पर चीनी का घोल देने का आरोप लगाया है।
उन्होंने आरोपी कंपनियों के शहद के निर्माण पर रोक लगाने व एक करोड़ की क्षतिपूर्ति दिलाने को वाद दर्ज किया है। आयोग ने आरोपी सभी कंपनियों को नोटिस जारी कर 5 जनवरी तक जवाब देने को कहा है।
संभल के बाजार गंज सरायतरीन निवासी विधि छात्र पारस वार्ष्णेय ने अधिवक्ता देवेंद्र वार्ष्णेय के जरिए आयोग में परिवाद दर्ज कराया। पारस के अनुसार लाकडाउन के दौरान उन्होंने शहद और नीबू के रस को मिलाकर पीना शुरू कर दिया। उन्होंने कई नामचीन कंपनियों के शहद की शीशी लेकर उनका सेवन किया। गत 30 नवंबर को उन्होंने फिर कई कंपनियों की शहद की शीशी खरीदी।
इस बीच 3 दिसंबर को मीडिया के माध्यम से उन्हें शहद के नाम पर मिलावटखोरी की जानकारी हुई। सेंटर फार साइंस एंड एनवायरमेंट नई दिल्ली की एक रिपोर्ट के अनुसार नामचीन कंपनियां शहद के नाम पर चीनी का घोल दे रही हैं।
शीशी में केवल 20 फीसदी ही शहद होता है। उनका कहना है कि इस रिपोर्ट से जाहिर होता है कि शहद के नाम पर विभिन्न कंपनियां चीनी का घोल दे रही हैं। जिसे पीने से लोगों के अंदर शुगर बढ़ेगी जो कोरोना बीमारी के लिए घातक हैं।
जिस पर उन्होंने उस रिपोर्ट में जिक्र की गई सभी नौ कंपनियों द्वारा शहद निर्माण पर रोक लगाने की मांग की है। साथ ही एक करोड़ की क्षतिपूर्ति का दावा किया है।
जिला उपभोक्ता आयोग सम्भल में परिवाद दर्ज कर दिया गया है। आयोग ने सभी कंपनियों को नोटिस भेजकर पांच जनवरी तक जवाब मांगा है।-देवेंद्र वार्ष्णेय अधिवक्ता, उपभोक्ता आयोग