दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि व्हाट्सएप की नई निजता नीति स्वीकार करना स्वैच्छिक है और यदि कोई इसकी शर्तों एवं नियमों से सहमत नहीं है, तो वह इसका इस्तेमाल नहीं करने का विकल्प चुन सकता है। पेशे से वकील एक याचिकाकर्ता ने व्हाइट्सएप की नई निजता नीति को चुनौती दी थी, जो फरवरी में लागू होने वाली थी, लेकिन अब इसे मई तक के लिए टाल दिया गया है।
न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा ने कहा, ”यह एक निजी एप है। इसमें शामिल नहीं हों। यह स्वैच्छिक है, इसे स्वीकार नहीं कीजिए। किसी और एप का इस्तेमाल कीजिए।” अदालत ने कहा कि यदि मोबाइल एप की शर्तें एवं नियम पढ़े जाएं, तो अधिकतर एप के बारे में ”आपको यह जानकर हैरानी होगी कि आप किन बातों पर सहमति जता रहे हैं।”