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वैष्णों देवी दर्शन करने लोग श्रद्धा और आस्था से जाते हैं , हम इनकी संख्या निर्धारित नहीं कर सकते- सुप्रीम कोर्ट

लखनऊ / नई दिल्ली : वैष्णो देवी मंदिर मामला में देवी के दर्शन करने वाले भक्तों की संख्या तय करने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया. एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि कि वैष्णों देवी मे खच्चरों के मालिकों के पुनर्वास को लेकर क्या योजना है? इस बात स्टेक होल्डर आपस में मीटिंग कर कोर्ट को बताए.
मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर सरकार से पूछा वैष्णों देवी मे खच्चर मालिकों के पुनर्वास के लिए क्या योजना है? कोर्ट ने पूछा कि आप कब तक पुनर्वास करेंगे? साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अभी कोई कैबिनेट नही है, ऐसे में एक कब तक पुनर्वास का काम पूरा करेंगे?याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि वैष्णों देवी श्राइन बोर्ड को ये तय करना चाहिए कि कितने लोग दर्शन के लिए जा सकते हैं. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोग वैष्णो देवी श्रद्धा और आस्था से जाते हैं न कि उन्हें श्राइन बोर्ड उन्हें बुलाता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई समाधान होना चाहिए.
कोर्ट ने कहा कि समय के हिसाब से खच्चरों को हटाना होगा. आपको कोई दूसरा विकल्प तलाश करना होगा. 4 हज़ार से ज्यादा खच्चर इस समय लोगों को लाने ले जाने का काम करते हैं. कोर्ट ने कहा कि इन्हें रातों रात नहीं हटाया जा सकता. इसे लेकर कोई योजना लाने की जरूरत है. साल में 10 फ़ीसदी कम कर के शुरू किया जा सकता है.
वैष्णों देवी श्राइन बोर्ड की तरफ से कहा गया कि खच्चरों को एक दम हटा दिया जाए ये संभव नही है. केंद्र सरकार की तरफ से कहा गया कि खच्चर देश के दूसरे हिस्से में भी इस्तेमाल किया जाता है. वैष्णों देवी श्राइन बोर्ड की तरफ से कहा गया कि
मनाली, शिमला, केदारनाथ, नॉर्थ ईस्ट में आदि जगह खच्चरों का इस्तेमाल किया जाता है. यहां तक कि सेना भी समान ले जाने के लिए खच्चरों का इस्तेमाल करती है.

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