अयोध्या में श्री राम जन्म भूमि पर भव्य राम मंदिर निर्माण के शुभारंभ की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। 5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भूमि पूजन कर मंदिर की आधार शिला रखेंगे।
करीब 500 वर्षों तक चली इस लंबी लड़ाई को याद करते हुए विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल कहते हैं कि सन् 1528 से लेकर आज तक भारत के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद ने असंख्य उतार-चढ़ाव देखे हैं।
इस देश ने वह दौर भी देखा, जब एक विदेशी आक्रांता ने भारत की आस्था और स्वाभिमान को कुचलते हुए अयोध्या के भव्य राम मंदिर को धूल धूसरित कर दिया। तो वहीं दूसरी ओर 6 दिसंबर 1992 का वह दृश्य भी इतिहास में अमर हो गया, जब लाखों राम भक्तों ने 464 वर्ष पूर्व जबरन बनाए गए विवादित ढांचे को मात्र कुछ ही घण्टों में समूल नष्ट कर दिया।
श्री बंसल ने कहा कि इन दो घटनाओं के बाद जो सबसे महत्वपूर्ण दिवस 9 नवंबर 2019 को आया। जब भारत के इतिहास में पहली बार सर्वोच्च न्यायालय की पांच सदस्यीय खण्ड-पीठ ने सर्व सम्मति से वह निर्णय सुनाया, जिसका भारत सहित पूरी दुनिया के करोड़ों राम भक्तों को सदियों से इंतजार था।
कोर्ट के इस निर्णय को सभी ने सहर्ष स्वीकार किया। विनोद बंसल ने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 30 सितम्बर 2010 के निर्णय के विरुद्ध सभी पक्षों ने 2011 के प्रारम्भ में ही अपीलें दायर कर दीं थी।
सर्वोच्च न्यायालय की लगभग 8 वर्षों की चुप्पी ने देश को अधीर कर दिया। एक बार तो राम भक्तों को लगा कि यह विषय अब न्यायालय की प्राथमिकता का है ही नहीं। देश भर में विशाल धर्म सभाएं प्रारम्भ हो गईं। लेकिन उच्चतम न्यायालय की 200 दिनों की मैराथन सुनवाई आखिरकार राम मंदिर के पक्ष में परिणाम भी ले आई।
विहिप के प्रवक्ता ने याद करते हुए कहा, लगभग 500 वर्षों के संघर्ष में हिन्दू कभी जीता तो कभी हारा। कभी रामलला साक्षात् दिखे तो कभी उनकी सिर्फ अनुभूति। कभी पूजा-पाठ हुआ तो कभी सिर्फ जन्म भूमि वंदन। कभी गम्भीर शांति रही तो कभी जबरदस्त संधर्ष।
इन सब के बीच यदि कुछ स्थिर था तो वह था जन्मभूमि से गहरा लगाव व समर्पण। चाहे मूर्ति गईं या पूरा मंदिर, राज्य गए या प्राण, सम्पत्ति गई या स्वजन, कुछ भी हुआ किन्तु, जन्मभूमि पर अपना दावा हिन्दू समाज ने कभी नहीं छोड़ा।
वैसे भी हिन्दू परम्परा में स्थान देवता का बड़ा महत्व है। भारत की स्वतंत्रता के उपरांत श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति के लिए हुए आन्दोलन के विभिन्न चरणों में लगभग 16.5 करोड़ लोगों की सहभागिता ने इसे दुनिया का सबसे बड़ा शांतिपूर्ण व अनुशासित जन-आन्दोलन बना दिया।
कांग्रेस ने हमेशा लगाया अड़ंगा
दिसम्बर 2017 में प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता में बनी सर्वोच्च न्यायालय की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने जब पहली बार सुनवाई का मन बनाया। पूरी दुनिया ने देखा कि किस तरह बाबरीवादी मुस्लिम समुदाय के साथ कांग्रेस के नेता खुल्लम-खुल्ला राम द्रोह के नए-नए प्रपंच रच रचते रहे। सुनवाई को अटकाने, भटकाने व लटकाने की नई नई चालें चल रहे। कभी दो वर्ष बाद होने वाले आम चुनावों का हवाला तो कभी सुनवाई से देश का माहौल खराब होने की बात।
कांग्रेस के कपिल सिब्बल ने अदालत को धमकी तक दी
कभी न्यायाधीशों की पीठ की संख्या पर प्रश्न तो कभी मुख्य न्यायाधीश की सेवा निवृति की तिथि का बहाना। कभी उच्च न्यायालय के दस्तावेजों के अंग्रेजी अनुवाद का बहाना तो कभी उसकी विश्वसनीयता पर ही प्रश्न चिह्न लगाया गया।
कभी पूर्व कानून मंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल व उनके सहयोगी वरिष्ठ वकीलों ने भरे कोर्टरूम में बहिष्कार की धमकी दी तो कभी मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा पर महाभियोग चलाने का प्रयास किया गया। भारत के न्यायिक इतिहास में सब कुछ पहली बार देखने को मिला।
ऐतिहासिक निर्णय का पूरे देश ने किया स्वागत
श्री बंसल ने कहा, 40 दिन में 200 घंटे से अधिक की ऐतिहासिक मैराथन सुनवाई ने आखिरकार शताब्दियों के बाबरवादी कब्जे से जन्मभूमि को मुक्त करते हुए अपना ऐतिहासिक निर्णय सुना ही दिया। केंद्र सरकार की पहल पर सर्वोच्च न्यायालय की सुनवाई में तब भी अनेक बाधाओं उत्पन्न की गयी।
लेकिन राम-भक्त वरिष्ठ अधिवक्ता के. पारासरन और उनकी टीम, चम्पत राय व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने सभी बाधाओं का सामना किया। अदालत के निर्णय के बाद देश में कहीं पर भी अप्रिय घटना नहीं हुई। इसके पीछे संतों, सरसंघचालक, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, विश्व हिन्दू परिषद् कार्याध्यक्ष एडवोकेट आलोक कुमार और अनेक विद्वानों, बुद्धिजीवियों, सामाजिक व धार्मिक संगठनों की शांति की अपील थी।
सीएम योगी ने राम नगरी के विकास का खींचा खाका
सीएम योगी ने कई बार अयोध्या प्रवास कर राम नगरी के विकास का खाका खींचा। पूज्य संतों व श्रद्धालुओं के साथ सभी पक्षकारों में व्यवस्था के प्रति विश्वास पैदा किया। विश्व हिन्दू परिषद ने संतों के मार्ग-दर्शन व अगुवाई में श्री राम जन्मभूमि के 77वें युद्ध की घोषणा 90 के दशक में की थी। इस तरह विहिप ने पांच शताब्दियों के संघर्ष को चार दशकों में विजयश्री तक पहुंचा दिया।
मंदिर निर्माण की शुभ बेला का बेसब्री से इंतजार
श्री बंसल ने कहा कि अब मंदिर निर्माण शुरू होने में कुछ ही दिन शेष हैं। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के नेतृत्व में होने जा रहे मंदिर निर्माण का सभी राम भक्त बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। राम जन्म भूमि की मुक्ति के लिए तन-मन-धन के साथ पूरा जीवन लगाने वाले राम भक्त विराट भव्य मन्दिर के भूमि पूजन के स्वर्णिम बेला को अपनी आंखों से निहारने को बेताब हैं।
अब सभी राम भक्त तैयार रहें। सबके लिए कुछ ना कुछ राम काज आने ही वाला है। विहिप के प्रवक्ता ने कहा, कोरोना संकट भला हमें अपने आराध्य देव के दर्शन के अधिकार से वंचित कैसे कर सकता। हां, दर्शन का माध्यम बदल सकता है। आवश्यकता इस बात की है कि इससे सम्बंधित सभी सावधानियों का पूर्णता से पालन करते हुए हमारे लिए जो भी करणीय कार्य हैं, हम वही सब मर्यादापूर्वक करेंगे।