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विश्व स्तनपान सप्ताह कार्यक्रम के तहत जागरूकता रैली, प्रतियोगिताओं का किया गया आयोजन

अलीगढ़। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के जवाहर लाल नेहरू मेडीकल काॅलेज के कम्यूनिटी मेडीसन विभाग द्वारा जवां स्थित ग्रामीण स्वास्थ्य प्रशिक्षण केन्द्र पर विश्व स्तनपान सप्ताह कार्यक्रम के तहत जागरूकता रैली, स्वास्थ्य चर्चा, गर्भवती महिलाओं के साथ समूह चर्चा, पोस्टर मेकिंग और ड्राइंग आदि प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया।‘‘सशक्त माता-पिता, स्तनपान को सक्षम करें’’ जो इस वर्ष का थीम घोषित किया गया था के तहत विश्व भर में हर वर्ष एक अगस्त से 7 अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाता है ताकि स्तनपान को प्रोत्साहित किया जा सके और दुनियां भर के शिशुाओं के स्वास्थ्य में सुधार हो।कम्यूनिटी मेडीसन विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर अनीस अहमद ने समापन कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि स्तनपान से मातृत्व और शिशुओं की मृत्यु दर में कमी लायी जा सकती है। उन्होंने कहा कि जिन बच्चों को स्तनपान कराया जाता है वह उच्च बुद्धि वाले होते हैं और जिन बच्चों को सही प्रकार से स्तनपान नहीं कराया जाता उनसे व्यक्तिगत हानि के साथ राष्ट्र को भी आर्थिक नुकसान होता है।

उन्होंने कहा कि स्तनपान जीवन रक्षा के साथ व्यक्तिगत और राष्ट्रों के स्वास्थ्य, समाजिक और आर्थिक विकास को बेहतर बनाने में सबसे अच्छा निवेश है। प्रो. अनीस ने कहा कि स्तनपान माँ और शिशु दोनों के ही लिये ईश्वर का एक वरदान है और यह माताओं में स्तन और गर्भाश्य के कैंसर की संभावनाओं को भी कम करता है। विभाग के वरिष्ठ शिक्षक प्रोफेसर नजम खलीक ने कहा कि अन्तर्राष्ट्रीय सिफारिशों के बावजूद 6 माह से कम आयु के सभी शिशुओं में से केवल 55 प्रतिशत बच्चे विशेष रूप से स्तनपान कर रहे हैं और 41 प्रतिशत बच्चे जन्म के पहले घण्टे के भीतर स्तनपान शुरू करने में सक्षम हैं। प्रो. खलीक ने कहा कि स्तनपान के प्रति महिलाओं में जागरूकता लाने के उद्देश्य से घरों पर, स्वास्थ्य सुविधाओं और काम करने के स्थानों पर सही तरीके से स्तनपान के बारे में जानकारी प्रदान की जानी चाहिये।ग्रामीण स्वास्थ्य प्रशिक्षण केन्द्र की प्रभारी डाॅ. उजमा इरम ने कहा कि स्तनपान बाल विकास की एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। उन्होंने कहा कि जन्म के पहले महत्वपूर्ण घण्टे में बच्चे को स्तनपान कराना चाहिये।

उन्होंने कहा कि कुछ लोग नवदुग्ध को नकार देते हैं, जो उचित नहीं हैं। उन्होंने कहा कि नवदुग्ध शिशु का पहला टीका है और यह पोषक तत्वों और ऊर्जा से भरा होता है। डाॅ. उज़मा ने कहा कि यह बच्चे के विकास में मददगार होने के साथ उसके संवेदी और ज्ञानात्मक विकास में भी सहायक होता है तथा बच्चे को दस्त और निमोनियां सहित अन्य बीमारियों से भी बचाता है। कार्यक्रम का संचालन जूनियर रेजीडेंट डाॅ. सलीम मोहम्मद खान द्वारा किया गया। इस अवसर पर एक स्वयरचित कविता ‘‘अगर बढ़ानी है अपने घर की शान, तो आओ मिलकर बाटें ज्ञान, शिशु के लिये क्या है वरदान, 6 माह तक सिर्फ स्तनपान’’ को उपस्थितजनों द्वारा बेहद पसन्द किया गया। जवां के जूनियर हाई स्कूल छात्रों द्वारा स्वास्थ्य जागरूकता रैली भी निकाली गई तथा स्तनपान कराने वाली महिलाओं को पुरस्कृत भी किया गया। कार्यक्रम के आयोजन में पीजी छात्रों के अलावा इंटर्नस और एमएसडब्लू छात्रों का विशेष योगदान रहा।

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