विराट कोहली भारत की 2011 में विश्व कप जीत के अभियान का हिस्सा थे, लेकिन भारतीय कप्तान के लिए ऑस्ट्रेलिया में पहली टेस्ट सीरीज में जीत उसकी तुलना में ‘अधिक भावनात्मक’ है, जिसे उन्होंने अपने करियर की सबसे बड़ी उपलब्धि भी करार दिया. ऑस्ट्रेलिया में पहली बार टेस्ट सीरीज जीतने वाली टीम के कप्तान कोहली ने कहा, ‘यह मेरी अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धि है यह सूची में सबसे ऊपर रहेगी.’ कप्तान ने इसके बाद विस्तार से बताया कि आखिर विश्व कप की जीत की तुलना में यह जीत उनके लिए विशेष क्यों है. कोहली ने कहा, ‘मैं 2011 विश्व कप टीम का हिस्सा था, पर मेरे अंदर इस तरह की भावनाएं ज्वार नहीं मार रही थीं कि जिनमें इससे पूर्व विश्व कप जीतने का मलाल हो. हम स्वदेश में खेले और आखिर उसे जीतने में सफल रहे. कई सीनियर खिलाड़ियों पर भावनाएं हावी थीं.
इसलिए यह उनके लिए था कि हमने क्या हासिल किया है. हां उसका हिस्सा होना मेरे लिए बहुत बड़ी बात थी.’ कप्तान ने कहा, ‘लेकिन अगर आप मुझसे पूछोगे कि मेरे लिए कौन सा क्षण भावनात्मक है, तो मैं इसका जिक्र करूंगा, क्योंकि यह मेरा यहां का तीसरा दौरा है और मुझे अनुभव है कि यहां जीतना कितना मुश्किल है. इस लिहाज से यह मेरे लिए बेहद भावनात्मक है.’ वह इतिहास रचे जाने से अच्छी तरह वाकिफ हैं, लेकिन कभी इसे चुनौती नहीं देना चाहते हैं. उन्होंने कहा, ‘इतिहास मायने रखता है, यह निश्चित तौर पर गौरवशाली क्षण है विशेषकर क्योंकि हम जानते हैं कि टीम के रूप में पिछले 12 महीनों में हम किस दौर से गुजरे हैं. हालांकि इतिहास बदलना या नया इतिहास रचने के बारे में मैं अब भी नहीं सोच रहा हूं. हमने पिछले 12 महीनों में जो कड़ी मेहनत की उसका नतीजा पाकर बेहद संतोष हो रहा है,’ कोहली ने कहा कि यह जीत भी टीम प्रयास से ही मिली और इसमें प्रत्येक खिलाड़ी का छोटा-छोटा योगदान भी महत्वपूर्ण रहा.
उन्होंने कहा, ‘अगर आप मुझसे योगदान की बात करते हो, तो हनुमा विहारी ने एमसीजी पर शुरू में 70 गेंदें खेलीं और यह किसी शतक या 70 या 80 रन जैसा महत्वपूर्ण है. हम इस तरह से योगदान को देखते हैं और हम केवल उसी को योगदान नहीं मानते जो कि सम्मान पट्टिका में दर्ज हो.’ कोहली ने कहा कि टीम विदेशों में एक या दो टेस्ट मैच जीतने के बजाय सीरीज जीतने को लेकर बेताब थी. उन्होंने कहा, ‘निश्चत तौर पर यह विशेष है, क्योंकि हम वास्तव में विदेशों में सीरीज जीतना चाहते थे. हम केवल एक मैच में जीत नहीं चाहते थे.’ सिडनी में ही चार साल पहले कोहली टेस्ट टीम के स्थायी कप्तान बने थे और इसी मैदान पर उनकी टीम ने नया इतिहास रचा. भारतीय कप्तान ने कहा, ‘हमारे बदलाव की शुरुआत यहीं हुई थी जहां मैंने कप्तान पद संभाला था और मुझे विश्वास नहीं हो रहा है कि चार साल बाद हम यहां जीतने में सफल रहे. मैं केवल एक शब्द कह सकता हूं कि मुझे इस टीम की अगुवाई करने में फख्र महसूस होता है. यह मेरे लिए सम्मान है. खिलाड़ियों के प्रयास से ही कप्तान अच्छा साबित होता है.’