टुसान । विज्ञान क्षेत्र में 2021 के सभी नोबेल पुरस्कार के लिए पुरूष वैज्ञानिकों को चुना गया है। बीच के कुछ वर्षों में महिलाओं के पुरस्कार जीतने के बाद अब वही परिपाटी पुन: शुरू हो गई। रसायन विज्ञान के क्षेत्र में वर्ष 2020 का नोबेल पुरस्कार ‘जीनोम एडिटिंग’ पद्धति का विकास करने के लिये एमैनुएल चारपेंटियर और जेनीफर डॉडना को दिया गया था वहीं ब्लैक होल संबंधी खोज के लिए भौतिकी का नोबेल पुरस्कार एंड्रिया घेज को दिया गया था।
इससे पहले, 2019 में विज्ञान क्षेत्र में सभी नोबेल पुरस्कार विजेता पुरूष ही थे। हालांकि 2018 में बायोकैमिकल इंजीनियर फ्रांसिस अर्नाल्ड ने रसायन-शास्त्र में और डोआना स्ट्रिकलैंड ने भौतिकी में नोबेल पुरस्कार जीता। स्ट्रिकलैंड और घेज भौतिकी में नोबेल पुरस्कार जीतने वाली तीसरी और चौथी महिला हैं। उनसे पहले मैरी क्यूरी ने 1903 में और मारिया गोएपपर्ट मायेर ने 60 वर्ष बाद यह पुरस्कार जीता था। स्ट्रिकलैंड ने कहा कि यह अहसास करना ही हैरान करने वाला था कि कितनी कम महिलाओं ने यह पुरस्कार जीता है।
महिला शोधकर्ताओं ने बीती एक सदी में बहुत लंबा रास्ता तय किया है लेकिन विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और मैथेमेटिक्स (एसटीईएम या स्टेम) जैसे क्षेत्रों में महिलाओं को अब भी पूरा प्रतिनिधित्व नहीं मिल पा रहा है। अध्ययनों में पता चला है कि जो महिलाएं इन क्षेत्रों में डटी रहती हैं उन्हें आगे बढ़ने की राह में अनेक बाधाओं का सामना करना पड़ता है। पुरुष प्रधान क्षेत्रों में तो पक्षपात और भी गहरा हो जाता है। ऐसी रूढ़ियां परंपरागत रूप से चली आ रही हैं कि महिलाओं को गणित पसंद नहीं होता या वे विज्ञान में अच्छी नहीं होतीं।
लेकिन अध्ययनों में बताया गया है कि लड़कियों और महिलाओं का स्टेम शिक्षा से बचने का कारण शैक्षणिक नीति, सांस्कृतिक संदर्भ, रूढ़ियां और ऐसे आदर्शों की कमी है जिनका वे अनुसरण कर सकें। बीते कई दशकों से, महिलाओं का स्टेम क्षेत्रों में प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए शैक्षणिक सुधार, व्यक्तिगत कार्यक्रम और रूढ़ियों को तोड़ने जैसे प्रयास किए गए। ये प्रयास सफल रहे और महिलाएं स्टेम करियर में दिलचस्पी दिखा रही हैं।
अब अधिक संख्या में महिलाएं स्टेम क्षेत्र में पीएचडी कर रही हैं और संकाय पद पा रही हैं। हालांकि महिलाओं को स्टेम क्षेत्र में कॅरियर बनाने की राह में कई संस्थागत और ढांचागत अवरोधों का सामना करना पड़ता है। वहीं पुरुष प्रधान क्षेत्रों में वे अलग-थलग महसूस करती हैं। वैसे विश्वविद्यालयों, पेशेवर संगठनों और संघीय वित्तपोषकों ने कई ढांचागत खामियों को दूर करने के प्रयास किए हैं। जिनमें परिवार को ध्यान में रखते हुए नीतियां बनाना, वेतन विसंगतियों को दूर करना और इस बारे में पारदर्शिता अपनाना आदि शामिल है।