अशाेक यादव, लखनऊ। लड़ाकू विमानों की कमी से जूझ रही वायु सेना को जल्द ही देश में बने 83 तेजस लड़ाकू विमान मिलेंगे जिस पर करीब 48 हजार करोड़ रूपये की लागत आयेगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की सुरक्षा मामलों की समिति की बैठक में इस खरीद को मंजूरी दी गयी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने खुद टि्वट कर इसकी जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि सुरक्षा मामलों की समिति ने वायु सेना के लिए 83 हल्के लड़ाकू विमान तेजस की खरीद को मंजूरी दे दी है। अब तक के सबसे बड़े घरेलू सैन्य सौदे पर 48 हजार करोड़ रूपये की लागत आने की संभावना है। ये विमान रक्षा क्षेत्र के सरकारी उपक्रम एचएएल से खरीदे जायेंगे। उन्होंने कहा कि यह सौदा रक्षा विनिर्माण के क्षेत्र में देश के लिए आत्मनिर्भरता की दिशा में ‘गेम चेंजर’ साबित होगा।
राजनाथ सिंह ने कहा कि जिन स्वदेशी तेजस मार्क- 1 ए विमानों की खरीद की मंजूरी दी गयी है वे आने वाले समय में वायु सेना की रीढ़ बनकर उभरेंगे। चौथी पीढ़ी के ये लड़ाकू विमान ऐसी अनेक नयी प्रौद्योगिकियों से लैस हैं जो भारत में पहले नहीं थी। तेजस मार्क-1ए में इस्तेमाल किये गये कलपुर्जों और प्रौद्योगिकी में से 50 फीसदी स्वदेशी है जिसे जल्द ही बढाकर 60 फीसदी किया जायेगा।
उन्होंने कहा कि एचएएल ने नासिक और बेंगलुरू डिविजन में भी पहले ही विनिमार्ण इकाईयों की स्थापना कर ली हैं और वह वायु सेना को इन विमानों की समय पर आपूर्ति के लिए तैयार है। आज के इस निर्णय से एलसीए इकोसिस्टम का विस्तार होगा और रोजगार के नये अवसर पैदा करने में सहायक रहेगा।
रक्षा मंत्री ने कहा कि एलसीए तेजस कार्यक्रम भारत में एयरोस्पेस विनिर्माण इकोसिस्टम को गतिशील आत्मनिर्भर इकोसिस्टम में बदलने में उत्प्रेरक की भूमिका निभायेगा। सुरक्षा समिति ने इस कार्यक्रम के तहत वायु सेना को ढांचागत सुविधाओं का विकास करने की भी अनुमति दी है जिससे वह अपने रिपेयर बेस पर विमानों की मरम्मत और उनकी सर्विस कर सकेगी।