नई दिल्ली: देश के पूर्वोत्तर में स्थित त्रिपुरा की दोनों लोकसभा सीटें वामपंथी दलों के कब्जे में हैं. पिछले साल राज्य ने 25 सालों बाद सत्ता में परिवर्तन होते देखा, जब सत्ता कम्युनिस्ट पार्टी के हाथ से फिसली तो बीजेपी के पास पहुंच गई. ऐसे में क्या इस बार लोकसभा चुनाव में बीजेपी यहां कोई सीट जीतने में सफल होती है या नहीं, यह देखने वाली बात होगी. त्रिपुरा में पहले चरण में 11 अप्रैल और दूसरे चरण में 18 अप्रैल को वोटिंग होगी. त्रिपुरा वेस्ट लोकसभा सीट से मौजूदा वक्त भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के शंकर प्रसाद दत्ता सांसद हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस पार्टी के कंडीडेट अरुणोदय साहा को हराया था. अब दत्ता, दोबारा चुनाव मैदान में हैं. उनके मुकाबले कांग्रेस ने सुबल भौमिक और बीजेपी ने प्रतिमा भौमिक को टिकट दिया है.
वहीं त्रिपुरा ईस्ट लोकसभआ सीट पर 2014 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के ही जितेंद्र चौधरी ने सफलता हासिल की थी. इस बार फिर से सीपीएम नेता जितेंद्र चौधरी ताल ठोक रहे हैं. वर्ष 2018 में राज्य में हुए विधानसभा चुनावों ने इतिहास रच दिया, जब बीजेपी ने 25 वर्षों से राज्य की सत्ता पर काबिज वामपंथी दल सीपीएम को बेदखल कर दिया. विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने सर्वाधिक 35 सीट और उसकी सहयोगी पार्टी इंडिजिनियस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (IPFT) ने 8 सीट जीती थी तो सत्ताधारी सीपीएम को सिर्फ 16 सीटें नसीब हुईं थीं. जिसके बाद भाजपा ने आईपीएफटी के साथ मिलकर त्रिपुरा में सरकार बनाई. इस वक्त बिप्लब देब त्रिपुरा की बीजेपी सरकार के मुख्यमंत्री हैं.त्रिपुरा ईस्ट लोकसभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. देश के उत्तर-पूर्वी सीमा पर स्थित त्रिपुरा अपने जनजातीय इतिहास के लिए जाना जाता है. 10491 वर्ग किमी में फैला त्रिपुरा भारत का तीसरा सबसे छोटा राज्य है.
इसके उत्तर-पश्चिम और दक्षिण में बांग्लादेश स्थित है तो पूर्व में असम और मिजोरम जैसे राज्य हैं. त्रिपुरा की जनसंख्या 36,73,917 है. इस राज्य का गठन 21 जनवरी 1972 को हुआ. इतिहास पर नजर डालें तो इसकी स्थापना 14 वीं शताब्दी में माणिक्य नामक आदिवासी नेता ने की थी, जो हिंदू धर्म को मानते थे.1808 में ब्रिटिश शासन ने इस पर कब्जा किया तो 1956 में यह भारतीय गणराज्य में शामिल हुआ. राज्य में विधानसभा की 60 सीटें हैं तो राज्यसभा की एक और लोकसभा की दो सीटें हैं. त्रिपुरा में एक सदनीय व्यवस्था है. त्रिपुरा का अपना पुराना इतिहास है. यह अपनी जनजातीय संस्कृति के लिए जाना जाता है. महाभारत और पुराणों में भी त्रिपुरा का जिक्र मिलता है.आजादी के बाद भारतीय गणराज्य में विलय होने के पूर्व त्रिपुरा में राजशाही व्यवस्था थी. पहले उदयपुर इसकी राजधानी थी, बाद में 18 वीं सदी में राजधानी को पुराने अगरतला स्थानांतरित किया गया और फिर 19 वीं सदी में नए अगरतला को राजधानी बनाया गया. वर्ष 1971 में त्रिपुरा में उस वक्त संकट छाया, जब बांग्लादेश के निर्माण के बाद यहां सशस्त्र संघर्ष छिड़ गया. यह संघर्ष बांग्लादेशी घुसपैठ के खिलाफ हुआ.