लखनऊ। 05 मार्च व 10 मार्च 2004 को मुलायम सिंह यादव ने अपने मुख्यमंत्रीत्व काल में 17 अतिपिछड़ी जातियों-निषाद, मछुआ, मल्लाह, माझी, केवट, बिन्द, धीवर, धीमर, रायकवार, कश्यप, कहार, गौडिया, तुरहा, भर, राजभर, कुम्हार, प्रजापति आदि को अनुसूचित जाति में शामिल करने के लिए केन्द्र सरकार को प्रस्ताव भेजा था। केन्द्र सरकार द्वारा इन जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने संबंधित औचित्य व इन जातियों का विस्तृत इन ग्राफिकल स्टडी रिपोर्ट मांगे जाने पर उत्तर प्रदेश शासन ने उ0प्र0 अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान, लखनऊ से सर्वे कराकर केन्द्र सरकार को 31 दिसम्बर 2004 को पूरी रिपोर्ट भेजा परन्तु केन्द्र सरकार ने कोई निर्णय नहीं लिया।
राष्ट्रीय निषाद संघ (एनएएफ) के राष्ट्रीय सचिव चै0 लौटन राम निषाद ने कहा कि केन्द्र सरकार बार-बार राज्य सरकार से सवाल जवाब करती रही। लेकिन इस मामले को अंतिम रूप नहीं दिया। श्री निषाद ने कांग्रेस व भाजपा पर निषाद, मछुआरा व अतिपिछड़ी जातियों के साथ वादा खिलाफी का आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस में विधानसभा चुनाव-2007 के चुनाव घोषणा पत्र में अन्य राज्यों की भांति निषाद मछुआ समुदाय की जातियों को अनुसूचित जाति का दर्जा दिलाने का संकल्प लिया था। 2007 से 2013 तक राहुल गांधी व सोनिया गाँधी आदि निषाद समाज को बुलाकर वार्ता करते रहें लेकिन वादा के बाद ही आरक्षण नहीं दिया।
08 फरवरी व 26 मार्च 2007 को राहुल गांधी ने कसम खाया था कि विधान सभा चुनाव के बाद मछुआरा जातियों को एससी का दर्जा दिला देंगें। 27 जनवरी 2009 को एन.टी.पी.सी. गेस्ट हाउस ऊचांहार, रायबरेली में निषाद प्रतिनिधियों से सोनिया गाँधी ने कहा था कि लोक सभा चुनाव के बाद इन जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल कराने के लिए वचनबद्ध हूँ। लेकिन इन जातियों को कांग्रेस की सरकार ने न्याय नहीं दिया। निषाद समाज के निर्णायक वोट को देखते हुए, प्रियंका गांधी ने प्रयागराज से वाराणसी तक गंगा में नाव द्वारा संवाद यात्रा के माध्यम से निषाद, मल्लाह, केवट, बिन्द जातियों को जोड़ने के प्रयास में जुटीं लेकिन निषाद समाज कांगे्रस के झांसे में नहीं आयेगा।
श्री निषाद ने बताया कि विधानसभा चुनाव- 2012 के घोषणा पत्र में भाजपा ने पृष्ठ 56 पर 17 अतिपिछड़ी जातियों सहित नोनिया, लोनिया,चौहान, बंजारा, बियार जाति को अनुसूचित जाति में शामिल कराने का मुद्दा शामिल किया। 05 नवम्बर 2012 को तत्कालीन भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी व भाजपा नेतृी सुषमा स्वराज ने फिशरमेन वीजन डाॅक्यूमेट्स मछुआरा दृष्टि पत्र जारी कर वादा किया था कि 2014 में भाजपा सरकार बनने पर मछुआरा जातियों की आरक्षण की विसंगति को दूर कर सभी जातियों को एससी एसटी का दर्जा दिलाया जायेगा और आर्थिक विकास के लिए नीली क्रांति को विकसित किया जायेगा।
लेकिन भाजपा का वादा वादा ही रह गया। अखिलेश यादव जी की सरकार ने 21 व 22 दिसम्बर तथा 31 दिसम्बर 2016 को मझंवार का प्रमाण पत्र जारी करने तथा 17 अतिपिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में परिभाषित करने की अधिसूचना जारी किये थे। जिस पर मा0 उच्च न्यायालय इलाहाबाद खण्डपीठ ने 24 जनवरी 2017 को स्टे दे दिया था। 29 मार्च 2017 को स्टे वैकेट हो गया लेकिन योगी सरकार ने प्रमाण पत्र जारी करने का शासनादेश नहीं किया। उन्होने कहा कि इन जातियों की संख्या लगभग 17 प्रतिशत है। जो कांग्रेंस व भाजपा को सबक सिखाने के लिए सपा-बसपा गठबंधन का साथ देगा।