पटना: लालू यादव के परिवार में एक बार फिर घमासान मचा हुआ है. लोकसभा चुनाव से पहले उनके बड़े बेटे तेज प्रताप की वजह से यह परिवार एक बार फिर चर्चा में है. तेज प्रताप ने नई पार्टी बनाने की धमकी दी है. लोकसभा चुनाव के लिए अपने करीबी साथियों के लिए टिकट की मांग कर रहे तेज प्रताप अब पार्टी (RJD) के फैसले का इतंजार कर रहे हैं. इस पर फैसला तेज प्रताप के छोटे भाई तेजस्वी यादव लेंगे. तेज प्रताप ने कभी खुद को कृष्ण बताकर तेजस्वी यादव को अर्जुन बताया था, लेकिन अब उनके लिए स्थिति कुछ उलट नजर आ रही है. पारिवारिक सूत्रों ने बताया है कि यह अहम वजह है कि तेज प्रताप नाराज हैं. हालांकि, इसकी कुछ और वजह भी हैं. कुछ महीनों से तेज प्रताप अपने परिवार से नाराज चल रहे हैं, क्योंकि उनके परिवार ने उन्हें अपनी पत्नी ऐश्वर्या राय से तलाक नहीं लेने दिया.
यहां तक कि जब उनकी बात नहीं मानी गई तो वह घर छोड़कर चले गए थे और कुछ सप्ताह के लिए बाहर ही रहे थे. तेज प्रताप की पत्नी ऐश्वर्या राय अभी भी लालू परिवार के साथ रह रही हैं. सबसे बुरी बात यह यह है कि तेज प्रताप के ससुर चंद्रिका राय उनके पिता लालू प्रसाद यादव की सीट सारण से चुनाव लड़ रहे हैं. लालू प्रसाद यादव ने साल 2009 के लोकसभा चुनाव में सारण सीट से जीत हासिल की थी. लालू प्रसाद यादव का यह आखिरी चुनाव था, क्योंकि इसके बाद उन्हें चारा घोटाले में दोषी करार दे दिया गया, जिसकी वजह से उनके चुनाव लड़ने पर बैन लग गया. राबड़ी देवी शुरुआत में इस सीट से चुनाव लड़ने के लिए तैयार हो गई थीं, लेकिन स्वास्थ्य को देखते हुए शायद उन्होंने मना कर दिया. तेज प्रताप ने इसका विरोध किया और आरजेडी की स्टूडेंट विंग से इस्तीफा देकर नई पार्टी बनाने की धमकी दे डाली. हालांकि, उन्होंने अपनी पार्टी का नाम ‘लालू-राबड़ी मोर्चा’ तय कर लिया. लेकिन तेजस्वी यादव ने उनकी बात को नजरअंदाज करते हुए चंद्रिका राय को उम्मीदवार घोषित कर दिया. तेज प्रताप ने अब धमकी दी है कि अगर चंद्रिका राय से टिकट वापस नहीं लिया जाता है तो वह सारण सीट से चुनाव लड़ेंगे.
इसके साथ ही वह शिवहर और जहानाबाद सीट से अपने करीबी लोगों के लिए टिकट चाहते हैं. अगर ऐसा नहीं होता है तेज प्रताप ने कथित तौर पर धमकी दी है कि वह अपनी नई पार्टी के बैनर तले अपने उम्मीदवार खड़े करेंगे. सूत्रों ने बताया कि तेज प्रताप सबसे ज्यादा नाराज तब हुए, जब उनके एक भी करीबी को टिकट नहीं दिया गया. हालांकि, विधानसभा चुनाव के दौरान वह अपने कुछ करीबी लोगों को टिकट दिलाने में कामयाब हो गए थे. लेकिन अब फैसला लेने का अधिकारी उनके छोटे भाई तेजस्वी के पास है और तेज प्रताप का प्रचार और टिकट बांटने में कोई भूमिका नहीं है. पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि तेज प्रताप बड़े बेटे जरूर हैं, लेकिन लालू यादव और राबड़ी देवी दोनों का मानना है कि तेजस्वी यादव ने खुद को साबित किया है और राजनीतिक उत्तराधिकारी बने रहेंगे. वे यह भी जानते हैं कि तेजप्रताप राबड़ी देवी के बड़े भाई साधु यादव के प्रभाव में हैं, जिनके पास एक समय में पार्टी में काफी चलती थी. लेकिन बाद में लालू यादव ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया था. सूत्रों ने कहा कि तेजप्रताप के जरिए साधु यादव वापसी करने की कोशिश कर रहे हैं.