पटना : बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के शीर्ष नेतृत्व में बदलाव की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। पार्टी के कई विधायक और नेता चारा घोटाले में जेल में बंद और बीमार चल रहे लालू प्रसाद यादव की जगह तेजस्वी को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाना चाहते हैं। इसके लिए ये विधायक अब खुलकर आवाज बुलंद करने लगे हैं। राजद-गठबंधन का नेतृत्व करने वाले 30 वर्षीय तेजस्वी लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद से सार्वजनिक रूप से काफी कम नजर आ रहे हैं। आम चुनाव में राजद का प्रदर्शन बहुत ही खराब रहा और उसे एक भी सीट हासिल नहीं हुई। हालांकि राज्य विधानसभा में राजद सबसे बड़ी पार्टी है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि पिछले करीब एक महीने से पटना से दूर रहे तेजस्वी मंगलवार देर रात ही वापस लौटे हैं। उनके लौटते ही पार्टी का नेतृत्व पूरी तरह से उन्हें सौंपने की मांग उठने लगी है। मनेर से विधायक भाई वीरेंद्र ने कहा कि हम तेजस्वी यादव के पार्टी पर पूर्ण नियंत्रण के पक्ष में हैं। यदि जरूरत पड़ी तो हम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर उनकी नियुक्ति के लिए एक प्रस्ताव भी लाएंगे। ऐसी राय बोधगया से विधायक कुमार सर्वजीत ने प्रकट की।
उन्होंने कहा कि वक्त आ गया है कि तेजस्वी पार्टी का पूरी तरह से नेतृत्व करें और राज्य का दौरा करें क्योंकि प्रदेश की जनता में एनडीए के खिलाफ आक्रोश है। जमुई से विधायक विजय प्रकाश ने कहा कि बिहार की जनता भी चाहती है कि तेजस्वी पार्टी का नेतृत्व करें और लोगों को विकल्प उपलब्ध कराएं। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि इस पर अंतिम फैसला लालू प्रसाद द्वारा ही लिया जाना है। पार्टी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने भी ऐसे ही विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि यह सही है कि लालू जी के बिना राजद की कल्पना नहीं की जा सकती। उन्होंने खुद तेजस्वी को अपना उत्तराधिकारी चुना था और उन्हें जदयू के साथ बनी महागठबंधन सरकार में उपमुख्यमंत्री बनाया था तथा अब वह विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं। पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ ही राज्य की जनता ने भी उन्हें स्वीकार कर लिया है। ऐसे में यही वक्त है कि तेजस्वी को पार्टी की पूरी कमान सौंप दी जाए। लालू प्रसाद यादव ने 1997 में राजद की स्थापना की थी और उस वक्त से लगातार निर्विरोध पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। राजद अध्यक्ष का कार्यकाल तीन साल के लिए होता है। राज्य में 2020 में विधानसभा चुनाव को देखते हुए तेजस्वी को पार्टी अध्यक्ष बनाने की मांग जोर पकड़ने लगी है।