नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में रविवार हुई घटना पर अपना आक्रोश व्यक्त करने के लिए किसानों ने दिल्ली के सिंघू बॉर्डर पर सोमवार को प्रदर्शन किया। उक्त घटना में हिंसक झड़प में चार किसानों की मौत हो गई थी। सिंघू बॉर्डर पर किसानों ने काले झंडे लेकर पूर्वाह्न 10 बजे से अपराह्न एक बजे तक प्रदर्शन किया। किसान नेता अभिमन्यु कोहर ने कहा कि लखीमपुर खीरी में जो हुआ उस पर अपना आक्रोश व्यक्त करने और अपनी मांगें रखने के लिए हमने प्रदर्शन किया।
हमारी मांग है कि केंद्रीय मंत्री अजय कुमार मिश्रा को निलंबित किया जाए, घटना के जिम्मेदार लोगों को धारा 302 के तहत गिरफ्तार किया जाए और सरकार को मृत किसानों के परिजनों को मुआवजा देना चाहिए। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले लखीमपुर खीरी में हुई घटना में आठ लोगों की मौत हो गई जिसमें कथित तौर पर चार किसानों के ऊपर गाड़ी चढ़ गई और भारतीय जनता पार्टी के काफिले के चार लोगों को भीड़ ने मार डाला।
उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव अवनीश कुमार अवस्थी ने कहा कि राज्य सरकार प्रत्येक मृत किसान के परिजन को 45-45 लाख रुपये मुआवजा और स्थानीय स्तर पर एक सरकारी नौकरी देगी। एक अन्य किसान नेता अवतार मेहमा ने कहा कि ताजा समाचार मिला है कि दोषियों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की गयी है और हमें बताया गया कि पूरे मामले की जांच उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश से करवाई जाएगी।
उन्होंने कहा कि हमें यह भी बताया गया है कि मृत किसानों के परिजनों को मुआवजे के तौर पर 45-45 लाख रुपये दिए जाएंगे और जो घायल हैं उन्हें 10-10 लाख रुपये मिलेंगे। किसान नेताओं ने दावा किया कि उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक समेत देश के अन्य भागों में इसी प्रकार के विरोध प्रदर्शन हुए।
पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को लखीमपुर खीरी में प्रवेश की अनुमति नहीं दिए जाने की खबरों पर योगेंद्र यादव ने ट्वीट किया कि विपक्षी नेताओं और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री तथा अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों को रोकने से ऐसा लगता है कि उत्तर प्रदेश सरकार कुछ छिपाना चाहती है। उन्होंने कहा कि भाजपा शासित राज्यों में ऐसे कठोर कदम लगातार उठाए जा रहे हैं और इससे भाजपा की असुरक्षा की भावना परिलक्षित होती है।