अशाेेेक यादव, लखनऊ। कंपनियों के अभियंताओं ने स्मार्ट मीटर संबंधित जांच रिपोर्ट को छिपाये रखा। जांच पूरी होने के बाद भी जांच रिपोर्ट प्रबंधन को नहीं सौंपी गयी। जिससे तेजी से भाग रहे स्मार्ट मीटरों पर लगाम नहीं लगायी जा सकी। जिसका खामियाजा उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ रहा है।
जांच रिपोर्ट के संबंध में उपभोक्ता परिषद ने खुलासा करते हुए मंत्री को ज्ञापन सौंपा और दोषी अभियंताओं पर कार्रवाई की मांग की है। बताया है कि मार्च-अप्रैल में ही इन दोनों कंपनियों के पास स्मार्ट मीटर जांच की रिपोर्ट आ गई थी, लेकिन अधिकारी कोरोना का हवाला देकर झूठ बोलते रहे हैं।
वहीं ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने परिषद को आश्वासन दिया है कि गुमराह कर रिपोर्ट दबाने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों को चिन्हित कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। स्मार्ट मीटर में भार जंपिंग का मुद्दा जनवरी 2020 में उठा था। जिसके बाद ऊर्जा मंत्री के निर्देश पर चार सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया गया था। जांच कमेटी ने कुछ भार जंपिंग मीटरों की क्षेत्रवार जांच के लिए नोडल आफिसर नियुक्त किए थे। इन मीटरों को केंद्रीय विद्युत अनुसंधान संस्थान (सीपीआरआई) नोएडा भेजा गया था। इसके बाद से अब तक अधिकारी बार-बार यही कहते रहे कि लैब कोरोना कैंटोमेंट जोन में है, जांच लंबित है।
स्मार्ट मीटरों की लैब रिपोर्ट छिपाते रहे अधिकारी
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने सीपीआरआई के एक उच्चाधिकारी से इस मुद्दे पर बात की तो कहानी कुछ और निकली। उक्त अधिकारी ने बताया कि मध्यांचल व पूर्वांचल के मीटरों की रिपोर्ट मार्च-अप्रैल में ही भेजी जा चुकी है। कुछ जांच लंबित भी हैं। परिषद अध्यक्ष ने यह सवाल निदेशक वाणिज्य के सामने रखा तो उन्होंने माना कि यह सूचना सही है, छानबीन की जा रही है। अवधेश वर्मा ने बताया है कि भार जंपिंग की जांच में स्मार्ट मीटर में कुछ गंभीर खामियां पाई गई हैं। उन्होंने ऊर्जा मंत्री से मांग की है कि इसकी सत्यता की जांच की जानी चाहिए। रिपोर्ट मिलने के बाद भी अधिकारी अब तक चुप क्यों थे? यह उपभोक्ताओं के साथ छल है।