अशाेक यादव, लखनऊ। बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से संचालित प्राथमिक और जूनियर विद्यालयों में खेल को बढ़ावा देना आसान नहीं होगा। क्योंकि शैक्षिक सत्र 2021-22 में खेल किट खरीदने के लिए समग्र शिक्षा अभियान की ओर से भेजी गयी राशि का उपयोग ही नहीं किया गया है।
प्राथमिक और जूनियर के करीब एक लाख 30 हजार विद्यालयों की प्रबंध समिति के खाते 100 करोड़ रूपए की राशि भेजी गयी थी, इसमें प्राइमरी के लिए प्रति विद्यालय 5000 और जूनियर के लिए प्रति विद्यालय 10000 रूपए का बजट आवंटित है।
इस राशि के माध्यम से सभी स्कूलों को प्रधानाध्यपकों को बच्चों के लिए खेलकिट की खरीदारी कर प्रामिणत सूचानाएं पोर्टल पर अपलोड करनी थी, लेकिन अभी तक महज 20 प्रतिशत स्कूलों में ही खेल किट खरीदी की गयी है। इस बात का खुलासा तब हुआ जब एसएसए की ओर से आनलाइल ब्योरा देखा जा रहा है।
बता दें कि सभी जिलों में बेसिक शिक्षा विभाग के विद्यालय में पढ़ने वाले विद्यार्थियों में खेल की भावना जगाने के लिए प्रदेश सरकार वर्ष 2019-20 से लगातार स्कूलों को खेल किट खरीदने के लिए धनराशि दे रही है। शैक्षिक सत्र 2021-22 में प्राइमरी स्कूलों के लिए पांच-पांच हजार और जूनियर स्कूलों के लिए 10-10 हजार रुपये का बजट खेल किट खरीदने के लिए शासन से आया था। यह धनराशि स्कूलों के एसएमसी खातों भेज दी गई थी। छात्रों की रुचि के अनुसार खेल सामग्री खरीदने के आदेश दिए गए थे।
पुरानी खेल किट के जरिए गोलमाल की तैयारी
शैक्षिक सत्र 2019-20 व 2020-21 में जो खेल किट खरीदी गई थी। वह कोरोना संक्रमण के कारण अधिकांश दिन स्कूल बंद रहने से खरीदी गई खेल किट का छात्र प्रयोग नहीं कर पाए। ऐसे में अब आशंका ये जाहिर की जा रही है कि कहीं पुरानी खेल किट के सहारे नई खेल किट के आए धन का गोलमाल न कर दिया जाये।
मार्च तक अपलोड करनी होंगी सूचनाएं
अधिकारियों ने बताया कि सभी स्कूलों को प्रधानाध्यपकों को अंतिम अवसर देते हुए मार्च तक खेल किट खरीदकर सूचना देने के लिए कहा गया है। अगर उसके बाद भी लापरवाही होती है सख्त कार्रवाई की जायेगी। इसकी सत्यता भी खंड शिक्षा अधिकारियों को परखना होगा।