वहीं कोरोना काल के बाद जब दोबारा यहां ओपीडी शुरू की गयी तो रोजाना मरीजों को देखे जाने की संख्या भी निर्धारित है, ऐसे में मरीज अधिक संख्या में पहुंच रहे हैं, जिसके चलते मरीजों को वापस होना पड़ रहा है।
वहीं बाहर से आने वाले मरीजों के तीमारदारों का कहना है कि जिलों से जब रेफर किया जाता है तो तभी हम अपने मरीज को यहां दिखाने के लिए लिए आते हैं, फिर भी भर्ती नहीं मिल पाती है, ऐसे में अन्य प्रावइेट अस्पतालों की ओर रूख करना पड़ता है।
कोरोना की दूसरी लहर के बाद पीजीआई की जब ओपीडी चालू की गयी है तो यहां रोजाना 150 मरीजों को देखने की व्यवस्था है। वहीं बाहर से आने वाले मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है, ऐसे में ओपीडी तक के दिखाने के लिए दो से तीन दिनों का समय लग जा रहा है।
यहां ओपीडी की शुरूआत 7 जून को कर दी गयी थी। इस बारे में पीजीआई के सीएमएस डॉ. गौरव अग्रवाल का कहना है कि ओपीडी में मरीजों को कोरोना की आरटीपीसीआर की निगेटिव रिपोर्ट के साथ देखा जा रहा है। इस कारण से भी कई मरीजों को देखने में समय लग रहा है।
लोहिया संस्थान में सामान्य विभागों में हर दिन 150 मरीजों को देखा रहा है। इसमें 50 नए व 50 पुराने मरीज होंगे। वहीं सुपरस्पेशलिटी के विभागों में कुल 50 मरीज ओपीडी में देखे जा रहे हैं। इसमें भी कंडीशन है कि 25 पुराने और 25 नए मरीजों देखे जा रहे हैं।
पीजीआई सीएमएस के मुताबिक कोरोना के बाद यहां ओपीडी में दिखाने के लिए आनलाइन रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था दी गयी है अगर मरीज को दिखाने से पहले रजिस्ट्रेशन करवा लिया जाता है तो परेशानी से बचा जा सकता है। यहां ओपीडी सुबह 9:30 बजे से पांच बजे तक चलायी जा रही है।
वहीं बलरामपुर अस्तपाल में कोरोना की दूसरी लहर के बाद ओपीडी शुरू की गयी है। यहां मरीजों को गाइड भी किया जा रहा है। बलरामपुर के निदेशक डॉ एसके पाण्डेय ने बताया कि यहां ईएनटी, आई व फिजीशियन ओपीडी समेत अन्य ओपीडी में रोजाना 300 मरीजों को देखा जा रहा है। इसके साथ ही हेल्प डेस्क के माध्यम से मरीजों को जागरूक भी किया जा रहा है।