अशाेक यादव, लखनऊ। कानपुर में जीका वायरस के 10 मरीजों की पुष्टि ने शासन से लेकर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के आगे नई चुनौती खड़ी कर दी है। इनमें से नौ मरीज शनिवार और रविवार को लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी से आई जांच रिपोर्ट में पॉजिटिव पाए गए हैं। प्रदेश में 23 अक्टूबर को जीका संक्रमण का पहला केस चकेरी एयर फोर्स स्टेशन में तैनात एक वायु सेना कर्मी के रूप में सामने आया। इसके बाद दो और सहकर्मी इससे संक्रमित पाए गए।
जीका वायरस मच्छर की प्रजाति, एडीस मच्छर से फैलता है। यह संक्रामक सलाइवा और सीमेन जैसे शरीर के तरल पदार्थ के आदान-प्रदान से हो सकता है। यह मनुष्यों के खून में भी पाया जाता है। अगर रक्तदान के 14 दिनों के भीतर किसी व्यक्ति का जीका वायरस संक्रमण से निदान किया गया है, तो ऐसे में रक्त दान करना उचित नहीं होगा।
जीका वायरस के लक्षण
जीका वायरस के लक्षण डेंगू के ही समान हैं। किसी व्यक्ति को संक्रमित मच्छर से काटे जाने के बाद थोड़ा बुखार और चकत्ते दिखाई दे सकते है। कॉंजक्टिवेटाइटिस, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, थकावट कुछ अन्य लक्षण हैं जिन्हें महसूस किया जा सकता है। लक्षण आमतौर पर 2 से 7 दिनों तक चलते हैं।
ऐसे करे बचाव
सामान्य दर्द और बुखार की दवाओं से भी जीका वायरस का इलाज किया जा सकता है। अगर किसी व्यक्ति का जीका संक्रमण से निदान किया गया है तो आराम और भरपूर पानी के सेवन की सलाह दी जाती है। चूंकि जीका वायरस मच्छरों से फैलता है, उनसे बचने का मतलब है जीका से बचना है। घरों में काला हिट जैसे स्प्रे का छिड़कना बेहद सहायक साबित हो सकता है।