निकाहनामे में तन्वी सेठ का नाम सादिया हसन, आवेदन फॉर्म में नहीं भरा नाम बदलने का कालम
लखनऊ: लखनऊ के पासपोर्ट विवाद में हिंदू-मुस्लिम दंपति अनस और तन्वी को पासपोर्ट मिल गया है. इससे पूर्व आज पूरे दिन मीडिया में धर्म के नाम पर इस दंपत्ति के साथ हुए तथाकथित बदसलूकी का मुद्दा छाया रहा. दंपत्ति के आवेदन फॉर्म में सही जानकारी न भरने को लेकर पासपोर्ट पटल अधिकारी विकास मिश्रा ने उनका पासपोर्ट होल्ड पर डाल दिया जिससे ये दंपत्ति भड़क उठा. इतना ही नहीं उन्होंने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को मामले को धर्म के हिसाब से जोड़ कर ट्वीट किया. ट्वीट किए जाने के बाद प्रशासन में हड़कंप मच गया. पासपोर्ट ऑफिस के अधिकारियों ने तुरंत दंपत्ति का पासपोर्ट बिना किसी जाँच के जारी किया और मीडिया के सामने आकर सफाई दी.
इस बीच पासपोर्ट विभाग के जिस अधिकारी विकास मिश्रा पर बदसलूकी का आरोप लगा है, उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि जो हो रहा है वो गलत हो रहा है. एक खबरिया चैनल से बात-चीत में उन्होंने कहा, ‘हमें धर्म से कोई मतलब नहीं, हमें तो पासपोर्ट के मैनुअल के मुताबिक फैसला लेना होता है, जिसमें आवेदक द्वारा दी गई जानकारी को कॉलम वाइज पुष्टि करनी होती है. उस फैसले के तहत निवेदक को अपना नाम स्पष्ट करना चाहिए था क्योंकि उस पर उनका पुराना नाम था.’ पटल अधिकारी ने कहा, ‘निवेदक नोएडा की रहने वाली थीं, उन्हें गाजियाबाद मे अप्लाई करना चाहिए था. लेकिन उन्होंने उस तथ्य को छिपाया और लखनऊ का पता दिखाकर पासपोर्ट लेने के लिए निवेदन किया जो कि गलत था. उन्होंने गलत जानकारी दी.’
हालांकि, पटल अधिकारी ने वह आवेदन फॉर्म नहीं दिखाया, जिसमें दंपत्ति ने गलत जानकारी दी थी. पटल अधिकारी ने कहा, ‘आप हमारे पासपोर्ट के वेबसाइट पर मौजूद फॉर्म को देखेंगे तो पाएंगे कि वहां एक कॉलम है कि ‘हैव यू एवर चेंज योर नेम’ मतलब क्या आपने कभी अपने नाम में बदलाव किया है. उन्हें इस कॉलम में हां करते हुए पुराना नाम देना चाहिए था. जैसे ही वो हां में जवाब देतीं तो सिस्टम से ऑटोमेटिक एक इनक्वैरी जारी होती जिसके बाद उनसे उनके पुराने नाम की मांग की जाती.’
नाम के सवाल पर उक्त अधिकारी ने कहा, ‘नाम पूछने पर दंपति ने निकाहनामा दिखाया जिसमें सादिया हसन नाम था लेकिन उस नाम को वो आवेदन पत्र में शामिल नहीं कराना चाहती थीं. इसके बाद मैंने उनसे आवेदन पत्र में नाम चढ़ाने के लिए आग्रह किया तो उन्होंने इसके लिए मना कर दिया. इसके बाद हमने मामले को एपीओ अधिकारी के पास भेज दिया. उन्होंने दंपति से पूछा कि आप नोएडा में रहती हैं तो पता चढ़ाने के लिए क्यों मना कर रही हैं. लेकिन दंपति ने वहां भी मना कर दिया. जिसके बाद एपीओ ने उनकी फाइल को यहां के पॉलिसी सेंटर भेज दिया.’
विकास मिश्रा ने कहा कि मैने धर्म को लेकर उनसे कोई बदसलूकी नहीं की बल्कि उन लोगों ने ही बदसलूकी की और साथ उनहोंने स्वम् को सक्षम लोग बताते हुए पुलिस में रिपोर्ट लिखवाने और गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी भी दी. ट्रांसफर की बाद उन्होंने कहा कि हमारे खिलाफ क्या कार्रवाई हुई है, इसकी जानकारी हमारे पास नहीं है. लेकिन जो हो रहा है वो गलत हो रहा है.
ये था मामला
दरअसल, एक दंपति पासपोर्ट रिन्यूवल कराने के लिए पासपोर्ट ऑफिस गए थे. उसके बाद उक्त दम्पति ने पासपोर्ट पटल अधिकारी को धर्म के नाम पर उन्हें अपमानित करने का आरोप लगाया. फॉर्म में सही जानकारी न भरे होने पर पटल अधिकारी विकास मिश्रा ने पासपोर्ट रिन्यूवल करने की यायिका खारिज कर दी और पासपोर्ट को होल्ड पर डाल दिया. दोनों का आरोप है कि पासपोर्ट ऑफिसर ने तन्वी से अपना नाम बदलने को कहा और अनस से मजहब बदलने को कहा. पासपोर्ट अफसर के इस व्यवहार से दंपति हक्का-बक्का रह गए. कोई और रास्ता ना दिखा तो दोनों ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को ट्वीट कर पूरी आपबीती बताई.
मोहम्मद अनस सिद्दीकी और उनकी पत्नी तन्वी सेठ ने 2007 में शादी की थी और उन्होंने लखनऊ में पासपोर्ट के लिए आवेदन किया था. अनस ने कहा- ‘अधिकारी ने मुझसे कल कहा था कि आप अपना धर्म परिवर्तन कीजिए और नाम बदलिए. गौ मंत्र पढ़िए और फेरे लीजिए. तब उसके बाद हो पाएगा.’
सुषमा स्वराज को ट्वीट किये जाने के बाद प्रशासन ने दम्पति को बिना किसी जाँच-पड़ताल किये ही नया पासपोर्ट भी जारी किया गया. साथ ही प्रशासन द्वारा कार्रवाई करते हुए न सिर्फ पटल अधिकारी विकास का तबादला किया गया बल्कि कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए माफी मांगने को भी कहा गया. पासपोर्ट ऑफिस ने कहा कि आगे से इस प्रकार की कोई घटना नहीं हो, इसके लिए सतर्कता बरती जाएगी. साथ ही अफसरों को भी इस बाबत गाइडलाइन देने की बात कही.