अशाेक यादव, लखनऊ। संविधान दिवस की 71वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में गुरूवार को पूरे प्रदेश में आरक्षण समर्थकों ने कोरोना काल में सर्तकता बरतते हुए बाबा साहब डा. भीमराव अम्बेडकर के चित्र पर पुष्प अर्पित कर एक दूसरे को संविधान दिवस की बधाई दी।
इस अवसर पर आरक्षण समर्थकों ने कहा कि बाबा साहब द्वारा बनायी गयी संवैधानिक व्यवस्था के तहत प्रदत्त प्रदेश के आठ लाख आरक्षण समर्थक कार्मिकों का संविधान प्रदत्त पदोन्नति में आरक्षण का बिल राज्यसभा से पारित होकर पिछले आठ वर्षों से लोकसभा में लम्बित है, जिससे पूरे देश में दलित कार्मिकों का संवैधानिक हक केन्द्र सरकार दबाये बैठी है। जिसके लिये कांग्रेस के साथ-साथ केन्द्र की मोदी सरकार पूरी तरह जिम्मेदार है।
पूरे देश के आरक्षण समर्थक कोरोना काल में चाहकर भी कोई बड़ा आन्दोलन नहीं कर सकते, लेकिन आज संविधान दिवस के अवसर पर आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति ने यह ऐलान किया है कि सभी कार्मिक प्रतिदिन सोशल मीडिया के माध्यम से अपने अधिकार को दबाने वाली सरकार का पर्दाफाश करें और सभी आरक्षित सीट से जीतकर आने वाले विधायकों व सांसदों को अपना संवैधानिक विरोध सोशल मीडिया, ईमेल, व्हाट्सएप के जरिए दर्ज कराते हुए उनसे लम्बित बिल को पास कराने की गुजारिश करें।
आरक्षण समर्थक दिसम्बर माह से वर्चुअल सम्मेलन का आयोजन लगातार करके अपने कार्मिकों को जागरूक करेंगे। आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति,उ.प्र के संयोजकों अवधेश कुमार वर्मा, एसपी सिंह, श्यामलाल, महेन्द्र सिंह, अन्जनी कुमार, अजय कुमार, हरि प्रसाद कौशल, अशोक सोनकर व सुनील कनौजिया ने कहा आज संविधान दिवस के अवसर पर हम सभी आरक्षण समर्थक अपने संवैधानिक हक को प्राप्त करने का संकल्प लेते हुए केन्द्र की मोदी सरकार से यह मांग करते हैं कि सरकार अविलम्ब पदोन्नति में आरक्षण का बिल पारित कराकर 15 नवम्बर 1997 से रिवर्ट प्रदेश के लगभग दो लाख दलित कार्मिकों को उनका संवैधानिक हक वापस दिलाये।
बड़े दुर्भाग्य की बात है कि जब कांग्रेस सरकार ने राज्य सभा से पदोन्नति का बिल पारित किया उस समय सपा को छोड़कर सभी पार्टियां पदोन्नति बिल पारित कराने की मांग कर रही थीं, जिसमें भारतीय जनता पार्टी भी पदोन्नति बिल के समर्थन में थी। आज केन्द्र में लम्बे समय से भाजपा की सरकार है लेकिन दलित कार्मिकों के अधिकार की उनको कोई चिन्ता नहीं है और दुर्भाग्य की बात यह है कि आरक्षित सीट से जीतकर आने वाले देश के लगभग 131 सांसद भी चुपचाप तमाशा देख रहे हैं।