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लखनऊ: आयोग में याचिका दायर, बिजली सामानों की खुले मार्केट से खरीद की मांगी अनु​मति

अशाेक यादव, लखनऊ। प्रदेश के उपभोक्ताओं और किसानों को नये बिजली कनेक्शन लेने में आसानी होगी। उन्हें आयोग के कास्ट डाटा बुक के अनुसार एस्टीमेट जमा करने के बाद नये कनेक्शन के लिए साल या महीने का इंतजार नहीं करना पड़ेगा।

स्टोरों से सामानों के मुहैया कराये जाने, या बाजार से सामानों की खरीद सहित जमा स्टीमेट पर 13 फीसद ब्याज दिए जाने की मांग को लेकर राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने शुक्रवार को नियामक आयोग में जनहित याचिका दायर की है।

इस याचिका में कहा गया है कि उपभोक्ताओं या किसानों को कनेक्शन लेने के लिए एस्टीमेट जमा करना होता है। इनके द्वारा एस्टीमेट को जमा करने के बाद भी छ​ह महीने या सालों तक उन्हे स्टोरों से सामानों को नहीं उपलब्ध कराया जाता है। विभागीय अधिकारियों द्वारा स्टोरों में सामानों के नहीं होने की बात कहकर उपभोक्ताओं को कार्यालयों के चक्कर कराने के लिए मजबूर कर दिया जाता है।

वहीं उपभोक्ता परिषद की ओर से बताया गया कि विभागीय स्टोरों में ट्रांसफार्मर, कंडक्टर व पोल सहित अन्य सामग्री उपलब्ध न होने के चलते किसान स्टोरों का चक्कर लगा रहे हैं। सभी बिजली कम्पनियों में बड़ी संख्या में पेंडेंसी है। यह उन किसानों उपभोक्ताओं की व्यथा है जिन्होंने पूर्ण जमा योजना में लाखों रुपया विभाग में जमा कर चुके होते हैं।

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बताया कि विद्युत नियामक आयोग में एक लोकमहत्वा याचिका दाखिल कर आयोग से हस्तक्षेप करने व बिजली कम्पनियों की उदासीनता के चलते नियमों में बदलाव की मांग उठाई गई है।

जिससे उपभोक्ता व किसान सीधे ओपन मार्किट से सामाग्री खरीद सके और वेंडर अनुमोदन की प्रक्रिया चालू हो सके। उधर इस मामले पर नियामक आयोग चेयरमैन आर. पी. सिंह ने कहा कि आयोग नियमों की परिधि में विचार कर आगे कार्यवाही करेगा।

याचिका के बाद अवधेश कुमार वर्मा ने बताया कि अपने लोक महत्ता याचिका में यह मुद्दा उठाया कि उपभोक्ता परिषद कई बार यह मुद्दा कार्पोरेशन प्रबंधन के सामने उठा चुका है। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।

उन्होंने कहा कि उपभोक्ता परिषद आयोग से मांग करता है कि अविलंब निर्णय किया जाए। ज्यादातर किसानों को ट्यूबवेल संयोजन के लिए पांच हार्स पावर से लेकर 10 हार्स पावर ट्रांसफार्मर की जरुरत होती है। जिनका काम 10 केवीए से लेकर 16 केवीए ट्रांसफार्मर में उनका काम चल जायेगा।

लेकिन ट्रांसफार्मर मेनुफैक्चरिंग करने वाले 10 केवीए से लेकर 16 केवीए ट्रांसफार्मर का निर्माण तीन फेस के लिए नहीं करते हैं, जिसकी वजह से किसानों को न चाह कर भी 25 के.वी.ए का महंगा ट्रांसफार्मर लगवाना पड़ता है। कारण है कि मिनिमम यहीं से तीन फेस ट्रांसफार्मर की शुरुवात होती है।

उन्होंने कहा कि आयोग निर्देश दे कि बिजली कम्पनियां ट्रांसफार्मर निर्माता कम्पनियों से बात कर 10 से लेकर 16 के.वी.ए के बीच तीन फेस ट्रांसफार्मर बनवाये। इसके साथ ही आयोग से यह मांग की गई है कि विभाग के स्टोरों में उपभोक्ता सामाग्री उपलब्ध नहीं हो रही।

आयोग ट्रांसफार्मर कंडक्टर पोल को ओपन मार्केट में सीधे उपभोक्ता किसान खरीद कर लगा सके, वेंडर सूची अनुमोदित कराये जिनसे उपभोक्ता सीधे सामान ले सके।

जनहित में आयोग यह भी निर्णय ले कि यदि पैसा जमा करने के 10 दिन बाद उपभोक्ता किसान को सामान स्टोरों से नहीं प्राप्त होता तो ऐसी दशा में बिजली कम्पनियां उपभोक्ताओ को 13 प्रतिशत ब्याज जमा पैसा पर दे।

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