अशाेक यादव, लखनऊ। उत्तर प्रदेश के तीन दिवसीय दौरे पर आए पीएम मोदी देश की आंतरिक सुरक्षा पर केन्द्रित 56वें अखिल भारतीय पुलिस महानिदेशक. महानिरीक्षक सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए शनिवार सुबह यहां पुलिस मुख्यालय पहुंचे। तीन दिवसीय सम्मेलन का उदघाटन शुक्रवार को केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने किया था।
उत्तर प्रदेश की राजधानी में पहली बार आयोजित हो रहे इस सम्मेलन में नक्सलवाद, आतंकवाद और माफिया तत्वों पर प्रभावी अंकुश लगाने के उपायों पर चर्चा होगी। पीएम आज और कल यानी रविवार को भी सम्मेलन का हिस्सा बनेंगे और अपने विचार व्यक्त करेंगे।
प्रधानमंत्री आज पूरे दिन कॉन्फ्रेंस में मौजूद रहेंगे और रात्रि भोज भी सम्मेलन स्थल पर ही लेंगे। इससे पहले गृह मंत्री शाह ने सम्मेलन का उदघाटन करते हुये प्रभावी पुलिस व्यवस्था के लिये पुलिस थानों और बीट स्तर के सुधारों पर जोर देते हुए कहा था कि आतंरिक सुरक्षा के लिये राज्य पुलिस तथा केंद्रीय एजेंसियों के बीच बेहतर तालमेल की जरूरत है। उन्होंने तटीय सुरक्षा, वामपंथी उग्रवाद, नारकोटिक्स, साइबर क्राइम और सीम प्रबंधन जैसे सुरक्षा विषयों पर जोर दिया।
यूपी के तीन दिवसीय दौरे पर आये मोदी ने शुक्रवार को बुंदेलखंड के झांसी और महोबा में विभिन्न परियोजनाओं का लोकार्पण एवं शिलान्यास किया था। जिसके बाद वह देर रात लखनऊ पहुंचे। जहां उनका स्वागत गृह मंत्री अमित शाह, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया था। डीजीपी सम्मलेन उत्तर प्रदेश में पहली बार आयोजित किया जा रहा है। दो दिवसीय इस सम्मेलन में आतंकवाद विरोधी चुनौतियां, वामपंथी उग्रवाद, पुलिस सुधार, पुलिस आधुनिकीकरण, साइबर क्राइम व आंतरिक सुरक्षा सहित कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हो रही है।
लखनऊ के गोमतीनगर में हो रहे इस कार्यक्रम में राज्य/ केंद्र शासित प्रदेशों के डीजीपी, केंद्रीय सशस्त्र बलों और केंद्रीय पुलिस संगठनों के मुखिया, सीबीआई के निदेशक शामिल हो रहे हैं। इसके अलावा आमंत्रित पुलिस अधिकारी आइबी, राज्य आइबी मुख्यालयों में 37 विभिन्न स्थानों से वर्चुअल माध्यम से सम्मेलन में भागीदारी की। सम्मेलन के पहले दिन आंतरिक सुरक्षा से जुड़े विभिन्न विषयों पर चर्चा की गई जिनमें जेल सुधार, कट्टरवाद से मिल रही चुनौतियां और पुलिस प्रशिक्षण जैसे विषय शामिल रहे। इस वर्ष पहली बार, सम्मेलन में चर्चा किए जाने वाले समसामयिक सुरक्षा मुद्दों पर राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों के 200 से अधिक विभिन्न वरिष्ठता के अधिकारियों से उनके विचार मांगे गए।