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लक्ष्मीकान्त बाजपेई , प्रेमकुमार धूमल के बाद क्या अब बीएस येदियुरप्पा भी होंगे बीजेपी के शिकार !

लखनऊ : कर्नाटक चुनाव के लिए प्रचार चरम पर है, और दोनों प्रमुख पार्टियां पूरी ताकत से एक दूसरे का विरोध करने में जुटी हैं… कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री सिद्धारमैया अपनी दूसरी पारी के लिए मैदान में हैं, और BJP ने भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना करते हुए अतीत में अपनी गद्दी गंवा चुके पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को भावी मुख्यमंत्री के रूप में पेश किया है. राज्य में अपनी पहली रैली को छोड़कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री पद के दावेदार येदियुरप्पा एक साथ एक मंच पर नज़र नहीं आएंगे, ताकि कांग्रेस के खिलाफ लगातार हमले बोलते प्रधानमंत्री को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कांग्रेस के पलटवारों का सामना नहीं करना पड़े… वैसे, येदियुरप्पा इस बात से भी दुःखी बताए जाते हैं कि उनके पुत्र को विधानसभा चुनाव का टिकट नहीं दिया गया है, ताकि प्रधानमंत्री वंशवाद को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से लेकर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया तक पर हमले बरकरार रख सकें, और कांग्रेस को BJP पर वंशवाद का आरोप लगाने का अवसर नहीं मिल सके.प्रधानमंत्री के साथ मंच साझा नहीं करने देने, और पुत्र को टिकट नहीं देने के अलावा भी येदियुरप्पा के पास चिंताएं मौजूद हैं. सूत्रों की मानें, तो कर्नाटक में अकेले दम BJP की उपस्थिति स्थापित करने वाले येदियुरप्पा बेहद परेशान हैं, क्योंकि उन्हें BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के इरादों पर भरोसा नहीं है, और उन्हें इस बात का डर है कि पार्टी की जीत की स्थिति में भी उनकी उम्र को बहाना बनाकर उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनने दिया जाएगा… गौरतलब है कि BJP में 75 वर्ष की आयु को सेवानिवृत्ति की आयु बताया जाता है…
कर्नाटक के दिग्गज राजनेता येदियुरप्पा इस बात से चिंतित हैं कि कहीं अमित शाह उनके साथ भी ‘धूमल जैसा व्यवहार न करें…’ दरअसल, पिछले साल हिमाचल प्रदेश में BJP की ओर से मुख्यमंत्री पद के दावेदार प्रेम कुमार धूमल अपनी ही सीट से चुनाव हार गए थे, और बहुतों का मानना है कि इस हार के पीछे उन्हीं की पार्टी का हाथ हो सकता है.

स्वाति चतुर्वेदी के एक आलेख के मुताबिक, येदियुरप्पा ने अपने करीबी एक केंद्रीय मंत्री से अपनी आशंकाएं साझा कीं, जिन्होंने उन्हें सब्र रखने और अपने राजनैतिक करियर की आखिरी लड़ाई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा BJP अध्यक्ष अमित शाह से टक्कर नहीं लेने की सलाह दी है… सो, भले ही येदियुरप्पा को लगता है कि अमित शाह उनका सम्मान नहीं करते, लेकिन येदियुरप्पा के पास इसे सहन करते रहने के अलावा कोई चारा नहीं है.

राजनैतिक सूत्र बताते हैं कि उ प्र में लक्ष्मीकान्त बाजपेई एवं हिमाचल प्रदेश में प्रेम कुमार धूमल को चुनाव में हराने के लिए पार्टी ने विशेष प्रयास किया था , वही डर अब येदुरप्पा को सत्ता रहा है , जो कि स्वाभाविक भी है। राजनीती में सब जायज है।

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