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रेमडेसिविर की लाखों शीशियां की निर्यात, अपने मरीजों के लिए कमी

दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि कोविड-19 बीमारी के इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली दवाई रेमडेसिविर की लाखों शीशियों का भले ही भारत द्वारा निर्यात किया गया हो, लेकिन उसके अपने ही नागरिक इस दवा की भारी कमी का सामना कर रहे हैं। न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने कहा कि भारत में कई कंपनियां इस दवा का उत्पादन कर रही हैं और दवा की लाखों शीशीओं का निर्यात किया गया होगा लेकिन “अपने मरीजों की जरूरतों को पूरा करने के लिए हमारे पास मात्रा नहीं है।”

अदालत ने कहा, “आंकड़ों से पता लगता है कि दिल्ली में इस दवा की भारी कमी है।” इसके साथ ही अदालत ने केंद्र, भारतीय औषधि महानियंत्रक और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) से सवाल किया कि क्या मरीजों को रेमडिसिविर देने से संबंधी दिशानिर्देशों में कोई बदलाव किया गया है। अदालत ने केंद्र से यह भी सवाल किया कि यह निर्णय किस आधार पर किया गया कि दिल्ली सरकार को कितनी दवा आवंटित की जानी चाहिए और क्या दवा खरीदने के लिए सीधे निर्माता या आपूर्तिकर्ता से संपर्क किया जा सकता है।

अदालत का यह निर्देश एक वकील की याचिका पर आया जो कोविड से पीड़ित हैं और उन्हें रेमडेसिविर की छह खुराकों की जरूरत थी लेकिन उन्हें सिर्फ तीन खुराक ही मिल सकी। अदालत ने दिल्ली सरकार को यह सुनिश्चित करने को कहा कि याचिकाकर्ता को आज रात नौ बजे तक दवा की शेष तीन खुराकें मिल जाएं। अतिरिक्त स्थायी वकील अनुज अग्रवाल दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए। इस मामले में अगली सुनवाई 28 अप्रैल को होगी।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि उसने अपने न्यायाधीशों, अपने कर्मियों और उनके परिवारों के लिए किसी पांच सितारा होटल में कोविड-19 केंद्र बनाने का कोई अनुरोध नहीं किया है। न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने उस समाचार रिपोर्ट का स्वत: संज्ञान लिया, जिसमें कहा गया था राष्ट्रीय राजधानी के अशोका होटल के 100 कमरों को दिल्ली उच्च न्यायालय के अनुरोध पर उसके न्यायाधीशों के लिए कोविड-19 स्वास्थ्य केंद्र में बदला गया है।

पीठ ने कहा, ”इस संबंध में किसी से भी कोई संवाद नहीं किया गया।” उसने कहा, ”हमने किसी पांच सितारा होटल को कोविड-19 केंद्र में बदलने जैसा कोई आग्रह नहीं किया है।” उसने दिल्ली सरकार से ”तत्काल सुधारात्मक कदम उठाने को” कहा। चाणक्यपुरी के उपमंडलीय मजिस्ट्रेट (एसडीएम) द्वारा 25 अप्रैल को जारी आदेश में कहा गया था कि अशोका होटल में कोविड-19 केंद्र को प्राइमस सुपर स्पेशलिटी अस्पताल से संबद्ध किया जाएगा।

पीठ ने आदेश को ”गलत” बताते हुए कहा कि इसके कारण यह छवि पेश हुई है कि दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों ने यह आदेश अपने लाभ के लिए जारी किया है या दिल्ली सरकार ने अदालत को खुश करने के लिए ऐसा किया है। अदालत ने वरिष्ठ वकील राहुल मेहरा के इस दावे से असहमति जताई कि मीडिया ने ”बदमाशी” की। उसने कहा, ”मीडिया ने कुछ गलत नहीं किया।” अदालत ने कहा कि मीडिया ने केवल यह बताया कि आदेश में क्या गलत था और गलत एसडीएम का आदेश था।

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