मुंबई: रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को कहा कि केंद्रीय बैंक यह सुनिश्चित करेगा कि अर्थव्यवस्था के किसी भी क्षेत्र के लिए नकदी की कमी नहीं हो। रिजर्व बैंक ने प्रमुख नीतिगत ब्याज दर रेपो में 0.25 प्रतिशत की कटौती कर बाजार को आश्चर्यचकित कर दिया। मौद्रिक नीति समीक्षा के बाद होने वाले पारंपरिक संवाददाता सम्मेलन में दास ने संवाददाताओं से कहा कि हम लगातार नकदी की स्थिति पर नजर रखे हुए हैं और यह सुनिश्चित करेंगे कि किसी भी क्षेत्र को नकदी की कमी नहीं हो। चालू वित्त वर्ष में अब तक खुले बाजार में हस्तक्षेप के जरिये डाली गयी नकदी 2.36 लाख करोड़ रुपए पहुंच गई है। केंद्रीय बैंक ने गुरुवार को छठी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर 0.25 प्रतिशत कम कर 6.25 प्रतिशत कर दी। साथ ही मौद्रिक नीति के बारे में अपना दृष्टिकोण को भी ‘नपी-तुली कठोरता’ वाले से नरम कर ‘तटस्थ‘ कर दिया है। रिजर्व बैंक ने खुदरा मुद्रास्फीति के अनुमान को भी कम किया है।
चालू वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही के लिए खुदरा मुद्रास्फीति अनुमान को कम कर 2.8 प्रतिशत किया गया है। दिसंबर, 2018 में यह 2.2 प्रतिशत रही थी। केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष की आखिरी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में अगले वित्त वर्ष की पहली छमाही के खुदरा मुद्रास्फीति अनुमान को भी कम कर 3.2-3.4 प्रतिशत कर दिया इसके साथ ही 2019- 20 की तीसरी तिमाही के लिये मुद्रास्फीति अनुमान 3.9 प्रतिशत रखा गया है। इस बारे में दास ने कहा कि यह अनुमान मानसून के सामान्य रहने तथा कच्चे तेल के दाम को लेकर कोई नकारात्मक घटनाक्रम नहीं होने की संभावना पर आधारित है। उन्होंने यह भी कहा कि मुद्रास्फीति का अनुमान कम करते समय बजट में किये गये विभिन्न प्रस्तावों और राजकोषीय घाटे के लक्ष्य से आगे निकलने की आशंका को भी ध्यान में रखा गया है।
डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने कहा कि आरबीआई वास्तविक ब्याज दर लक्ष्य नहीं रखता। अंतरिम लाभांश भुगतान के बारे में दास ने कहा कि यह कानूनी प्रावधान है और निदेशक मंडल की 18 फरवरी को प्रस्तावित अगली बैठक में राशि तथा समय के बारे में निर्णय किया जाएगा तथा यह सरकार को तय करना है कि वह उसे कैसे खर्च करती है। सरकार को बढ़े हुए राजकोषीय घाटे के संशोधित लक्ष्य को हासिल करने के लिये अंतरिम लाभांश की काफी जरूरत है। दास ने यह भी कहा कि आरबीआई को बजट में जतायी गयी संभावना के अनुरूप जीएसटी संग्रह में तेजी की उम्मीद है। इसमें 18 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया गया है। आचार्य ने कहा कि आरबीआई के फंसे कर्ज से संबंधित 12 फरवरी 2018 के परिपत्र में संशोधन का कोई प्रस्ताव विचारार्थ नहीं है।