नई दिल्ली: रिजर्व बैंक ने मानसून के संभावित असर और वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में अनिश्चितता को लेकर चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के पहले के अनुमान 7.4 प्रतिशत से घटाकर 7.2 प्रतिशत कर दिया। रिजर्व बैंक ने फरवरी महीने में हुई मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में 2019-20 में जीडीपी वृद्धि दर 7.4 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया था। वित्त वर्ष 2019-20 की पहली छमाही के लिये उसने जीडीपी वृद्धि दर 7.2 से 7.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था। रिजर्व बैंक ने बैठक के बाद जारी बयान में कहा कि फरवरी बैठक के बाद घरेलू निवेश गतिविधियों में नरमी के संकेत मिले हैं जो उत्पादन में सुस्ती और पूंजीगत वस्तुओं के आयात में देखने को मिला। उसने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की आर्थिक वृद्धि में सुधार का देश के निर्यात पर असर पड़ सकता है।
केंद्रीय बैंक ने कहा कि वाणिज्यिक क्षेत्र में बेहतर वित्तपोषण ने आर्थिक गतिविधियों को सहारा दिया है। ग्रामीण क्षेत्रों में सार्वजनिक खर्च बढने तथा कर लाभ के कारण लोगों की खर्च करने योग्य आमदनी अधिक होने से निजी उपभोग बढ़ने का अनुमान है। कारोबारी धारणा भी सकारात्मक बने रहने का अनुमान है। रिजर्व बैंक ने कहा कि 2019-20 में जीडीपी वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है। पहली छमाही में यह 6.8 -7.1 प्रतिशत और अंतिम छमाही में 7.3- 7.4 प्रतिशत रह सकती है।’’ केंद्रीय बैंक ने कहा कि मुद्रास्फीति परिदृश्य पर कई अनिश्चितताओं के बादल छाये हुए हैं। प्रमुख खाद्य उत्पादों का घरेलू एवं वैश्विक मांग-आपूर्ति संतुलन अनुकूल बना रह सकता है। हालांकि, शुरुआती अनुमानों में 2019 में मानसून पर अल नीनो प्रभाव के संकेत दिये जा रहे हैं। समिति ने माना कि उत्पादन की खाई नकारात्मक बनी हुई है और घरेलू अर्थव्यवस्था के समक्ष विशेषकर वैश्विक मोर्चे पर चुनौतियां बनी हुई हैं।