वाशिंगटन। तालिबान के अफगानिस्तान के बड़े हिस्सों में काबिज होने के बीच अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने अफगानिस्तान से सैनिकों की वापसी के कार्यक्रम में किसी भी तरह के परिवर्तन की संभावना से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि अफगान नेताओं को एक साथ आना होगा और अपने लिए तथा अपने देश के लिए लड़ना होगा।
बाइडन ने 11 सितंबर तक युद्धग्रस्त देश से सभी अमेरिकी सैनिकों की वापसी का अप्रैल में आदेश दिया था। पेंटागन ने बताया कि अब तक वहां से 90 फीसदी से अधिक सैनिक स्वदेश लौट चुके हैं। सैनिकों और उपकरणों को अफगानिस्तान से वापस लाने का पेंटागन का बड़ा काम लगभग पूरा हो चुका है और अमेरिकी सेना का मिशन 31 अगस्त तक समाप्त हो सकता है।
व्हाइट हाउस में संवाददाताओं ने बाइडन से पूछा कि सैनिकों की वापसी के वर्तमान कार्यक्रम में क्या कोई बदलाव आ सकता है, इस पर उन्होंने कहा, ‘नहीं’। बाइडन ने आगे कहा, ”देखिए, हमने बीस साल से अधिक समय में एक हजार अरब डॉलर से अधिक राशि खर्च की। अफगान बलों के 3,00,000 से अधिक सैनिकों को प्रशिक्षित किया, साजो सामान दिया। अफगान नेताओं को एक साथ आना होगा।
हमारे हजारों सैनिक घायल हुए, हजारों मारे गए। उन्हें अपनी लड़ाई खुद लड़नी होगी, अपने देश के लिए लड़नी होगी।” बाइडन ने कहा, ”हम अपने वादे पूरे करेंगे जैसे कि हवाई क्षेत्र में मदद देना, यह देखना कि उनकी वायुसेना ठीक से काम करने में सक्षम हो, उनके बलों को भोजन और उपकरणों की आपूर्ति और उनके सभी वेतनों का भुगतान आदि। लेकिन उन्हें लड़ना होगा।
उनकी संख्या तालिबान से अधिक है।” अमेरिकी बलों के अफगानिस्तान से लौटने के बीच तालिबान ने अपने पैर फैलाने शुरू कर दिए। सप्ताहांत पर तालिबान ने अफगानिस्तान के पांच प्रांतों की राजधानियों पर कब्जा कर लिया। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि अफगान इस बात को मानने लगे हैं कि उन्हें शीर्ष स्तर पर एक साथ आना होगा। उन्होंने कहा, ”लेकिन हम अपने वादे पूरे करते रहेंगे।
मुझे अपने फैसले पर कोई अफसोस नहीं है।” इससे पहले व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने संवाददाताओं से कहा कि अमेरिका उन लोगों को न्याय दिलाने के लिए अफगानिस्तान गया था जिन पर 11 सितंबर को हमला किया गया। वह उन दहशतगर्दों को तबाह करने गया था जो अमेरिका पर हमला करने के लिए अफगानिस्तान को सुरक्षित पनाहगाह बनाना चाह रहे थे। उन्होंने कहा, ”हमने कुछ साल पहले इन मकसदों को हासिल कर लिया।”