लखनऊ। राज्य सूचना आयुक्त हाफिज उस्मान ने सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, मुरादाबाद, बिजनौर, रामपुर, सम्भल जनपदों के 51 वादों की सुनवाई की कुल 51 वादों की सुनवाई कलेक्ट्रेट, अमरोहा में की गयी है।15 अधिकारियों पर हुआ, अर्थदण्ड अधिरोपित कुल रू0 3,75,000- (रू0 तीन लाख पच्छतर हजार) 03 वादों में बतौर क्षतिपूर्ति के दिये गये, आदेश कुल रू0 15,000-(रू0 पन्द्रह हजार) 25 फाईले हुई निस्तारित, 08 वादों में प्रतिवादी को दी गयी, नियम के तहत चेतावनी। धारा-19(7) के तहत मुख्य चिकित्सा अधिकारी, बिजनौर को बाध्य करते हुए, उपस्थित के दिये आदेश अधिकारियों पर हुआ, अर्थदण्ड अधिरोपित कुल रू0 3,75,000/- (रू0 तीन लाख पच्छतर हजार) तथा अधिनियम की धारा-20(2) के तहत विभागीय एवं धारा 19(8)(ख) के तहत क्षतिपूर्ति की कार्यवाही की दी गयी चेतावनी 03 वादों में बतौर क्षतिपूर्ति मिली वादी को धनराशि कुल रू0 15,000- (रू0 पन्द्रह हजार) 25 फाइलें हुई, निस्तारित 08 सूचना देने के लिए समय,शोकाज ज0सू0अ0 जिलाधिकारी, सम्भल। रू0 25,000- मुख्य विकास अधिकारी, मुरादाबाद। रू0 25,000- मुख्य चिकित्सा अधिकारी, बिजनौर। रू0 25,000- जिला मजिस्ट्रेट, मुरादाबाद। रू0 25,000/- जिला विकास अधिकारी, मुजफ्फरनगर। रू0 25,000- मुख्य विकास अधिकारी, बिजनौर। रू0 25,000-उपजिलाधिकारी चन्दौसी, सम्भल।
रू0 25,000- तहसीलदार सदर, मुरादाबाद। रू0 25,000/- जिला अल्पसंख्यक अधिकारी, मुरादाबाद। रू0 25,000-उपजिलाधिकारी, सम्भल। रू0 25,000-नगरपालिका परिषद चन्दौसी, सम्भल। रू0 25,000- जिला पूर्ति अधिकारी मई, सम्भल। रू0 25,000/- मुख्य चिकित्सा अधिकारी, सम्भल। रू0 25,000- खण्ड विकास अधिकारी स्योहारा, बिजनौर। रू0 25,000- क्षेत्रीय खाद्य अधिकारी धामपुर, बिजनौर। रू0 25,000- असिस्टेण्ट कमिश्नर वाणिज्य कर विभाग, सम्भल। रू0 5,000- नजीबुद्दौला गल्र्स इण्टर कालेज नजीबाबाद, बिजनौर। रू0 5,000- मुख्य चिकित्सा अधिकारी, बिजनौर। रू0 5,000- धारा 19 की उपधारा (7) के बाध्यकारी आदेश। 25 फाइले निस्तारित की गयी, जिसमें वादी को सूचनाएं उपलब्ध करायी गयी। 08 फाइलों में प्रतिवादी को निदेर्शित किया गया कि अगले 30 दिन के अन्दर वादी को सूचनाएं उपलब्ध कराये, अन्यथा अधिनियम की धारा 20(1) के तहत दण्डात्मक एंव धारा 19(8)(ख) के तहत क्षतिपूर्ति तथाधारा 20 (2) के तहत क्यों न विभागीय कार्यवाही का आदेश पारित कर दिया जाये।
सूचना अधिकार अधिनियम-2005 के तहत मुरादाबाद निवासी श्री अख्तर हसनैन रिजवी ने दिनांक 30.08.2017 को जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान कांठ, मुरादाबाद को सम्बोधित आवेदन में शिकायत की थी, जिसमें उन्होंने जानकारी चाही थी कि फर्जी बी0टी0सी0 प्रमाण-पत्र के आधार पर शिक्षा विभाग में शिक्षक पद पर नियुक्ति प्राप्त करने, फर्जी बी0टी0सी0 प्रमाण-पत्र का गलत सत्यापन निर्गत करने की जांच के विषयक था, जिस पर संयुक्त शिक्षा निदेशक, मुरादाबाद मण्डल, मुरादाबाद को जांच अधिकारी नियुक्ति किया गया था, जांच अधिकारी ने दिनांक 18.07.2017 को प्राचार्य डायट कांठ एवं श्री रिजवी को कार्यालय में उपस्थित होकर साक्ष्य प्रस्तुत करने के निर्देश दिये थे, तद्नुसार आख्या प्रस्तुत की गयी थी, परन्तु अधिक समय बीत जाने के बावजूद भी प्रकरण में कोई कार्यवाही नहीं की गयी, समस्त प्रमाण-पत्रों की प्रमाणित छायाप्रतियाॅ चाही थी, परन्तु विभाग द्वारा वादी को इस सम्बन्ध में कोई जानकारी नहीं दी गयी। अधिनियम के तहत सूचना न मिलने पर वादी ने राज्य सूचना आयोग में अपील दाखिल कर प्रकरण की जानकारी चाही है। उक्त के क्रम में जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान कांठ, मुरादाबाद द्वारा बताया गया कि प्रकरण जनपद सम्भल के बी0एस0ए0 कार्यालय से सम्बन्धित है, इसलिए उन्हें नोटिस जारी किया जाये।
राज्य सूचना आयुक्त श्री हाफिज उस्मान ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, सम्भल को सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 की धारा 20 (1) के तहत नोटिस जारी कर आदेशित किया कि वादी के प्रार्थना-पत्र की सभी सूचनाएं वादी को अगले 30 दिन के अन्दर उपलब्ध कराते हुए, मा0 आयोग को अवगत कराये, अन्यथा जनसूचना अधिकारी स्पष्टीकरण देंगे कि वादी को सूचना क्यों नहीं दी गयी है, क्यों न उनके विरूद्ध दण्डात्मक कार्यवाही की जाये। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, सम्भल से अनिल कुमार सुनवाई के दौरान उपस्थित हुए, उन्होंने अवगत कराया तत्कालीन बी0एस0ए0 के द्वारा वाद से सम्बन्धित अध्यापकों के बी0टी0सी0 प्रमाण-पत्रों का सत्यापन सचिव,रजिस्ट्रार, परीक्षा नियामक प्राधिकारी उ0प्र0, इलाहाबाद द्वारा प्राप्त किया गया, जिसमें महेन्द्र सिंह प्र0अ0 प्राथमिक विद्यालय शकरपुर, श्री खूबसिंह प्र0अ0 प्राथमिक विद्यालय करछली विकास खण्ड पवांसा, रूमाल सिंह प्र0अ0 प्राथमिक विद्यालय गोहरनगर, रघुवीर सिंह प्राथमिक विद्यालय अकबरपुर गहरा मिलक विकास खण्ड असमौली के बी0टी0सी0 उत्तीर्ण प्रमाण-पत्र के सापेक्ष अनुक्रमांक आवंटित नहीं है, प्रमाण-पत्र के सापेक्ष अभिलेख से भिन्न है, के आधार पर बी0टी0सी0 प्रमाण प्रथम दृष्टया कूटरचित होने के कारण सम्यक विचारोपरान्त तत्काल प्रभाव से सेवा समाप्त कर दी गयी है,
इस आशय की जानकारी प्रतिवादी ने मा0 आयोग को दी है। सूचना अधिकार अधिनियम-2005 के तहत जनपद सम्भल निवासी कुलदीप कुमार वाष्र्णेय ने, मुख्य चिकित्सा अधिकारी, सम्भल को आवेदन-पत्र देकर जानकारी चाही थी कि जिला सम्भल में झोलाछाप चिकित्सक (डाॅक्टरों) के विरूद्ध नियम के तहत क्या कार्यवाही की गयी है, यदि वर्तमान में किसी चिकित्सक द्वारा अवैध रूप से क्लीनिक का संचालन किया जा रहा है, तो दोषी पाये जाने पर उसके विरूद्ध नियमानुसार क्या कार्यवाही की जाती है, आदि से सम्बन्धित बिन्दुओं की प्रमाणित छायाप्रतियाॅ उपलब्ध करायी जाये, परन्तु विभाग द्वारा वादी को कोई जानकारी नहीं दी गयी, अधिनियम के तहत सूचनाएं प्राप्त न होने पर वादी ने राज्य सूचना आयोग में अपील दाखिल कर प्रकरण की जानकारी चाही है। राज्य सूचना आयुक्त हाफिज उस्मान ने जनसूचना अधिकारी, मुख्य चिकित्सा अधिकारी, सम्भल को सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 की धारा 20 (1) के तहत नोटिस जारी कर आदेशित किया कि वादी द्वारा उठाये गये बिन्दुओं की बिन्दुवार सभी सूचनाएं अगले 30 दिन के अन्दर अनिवार्य रूप से वादी को उपलब्ध कराते हुए, मा0 आयोग को अवगत कराये, अन्यथा जनसूचना अधिकारी स्पष्टीकरण देंगे कि वादी को सूचना क्यों नहीं दी गयी है,
क्यों न उनके विरूद्ध दण्डात्मक कार्यवाही की जाये, परन्तु प्रतिवादी ने न तो वादी द्वारा उठाये गये बिन्दुओं की सूचना वादी को उपलब्ध करायी है, और न ही मा0 आयोग के समक्ष उपस्थित हुए है। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि प्रतिवादी जानबूझकर वादी को सूचना उपलब्घ नहीं करना चाहता है। इसलिए प्रतिवादी जनसूचना अधिकारी, मुख्य चिकित्सा अधिकारी, सम्भल को वादी को सूचना उपलब्ध न कराने का दोषी मानते हुए, उनके विरूद्ध आज की तिथि से रू0 250ध्- प्रतिदिन का अर्थदण्ड अधिरोपित किया जाता है, जिसकी अधिकतम सीमा रू0 25000ध्-(रू0 पच्चीस हजार) है। डाॅ0 अमिता सिंह मुख्य चिकित्सा अधिकारी, सम्भल उपस्थित हुई, उनके द्वारा बताया गया है कि 38 झोलाछाप चिकित्सको द्वारा अवैध रूप से क्लीनिक का संचालन किया जा रहा था, जिनके विरूद्ध सम्बन्धित थानों में (इंडियन मेडीकल कौंसिल एक्ट व अन्य सुसंगत धाराओं के अन्तर्गत एफआईआर) प्राथमिकी दर्ज करा दी गयी है, और उनकी क्लीनिक को बन्द करा दिया गया है, इस आशय की जानकारी प्रतिवादी ने मा0 आयोग को दी है।