नई दिल्ली : शुक्रवार (12 जनवरी) को सुप्रीम कोर्ट के चार जजों जस्टिस चेलामेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन भीमराव और जस्टिस कुरियन जोसेफ ने शीर्ष अदालत के कामकाज को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इसके बाद न्यापालिका को लेकर सियासत भी गरमा गई। कम्युनिस्ट पार्टी के नेता और तमिलनाडु से राज्यसभा सांसद डी राजा जस्टिस चेलामेश्वर के घर उनसे मुलाकात करने पहुंच गए। इस मुलाकात के बारे में जब उनसे मीडिया ने जानना चाहा तो उन्होंने कहा- चेलामेश्वर को लंबे समय से जानता हूं। जब मुझे पता चला कि उन्होंने अन्य जजों के साथ असाधारण कदम उठाया है, तो लगा कि उनसे जरूर मिलना चाहिए। मैं इसे सियासी रंग नहीं दे रहा हूं। इस बात पर सबको ध्यान देना चाहिए। यह देश के भविष्य और लोकतंत्र की बात है।पूर्व वित्त मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा भी चारों जजों के फैसले के साथ खड़े नजर आए। उन्होंने कहा- सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ सार्वजनिक तौर पर आवाज उठाने वाले चारों जजों के साथ वह अडिग होकर खड़े हैं। उन्होंने कहा कि जजों की आलोचना करने के बजाय लोगों को उन मुद्दों पर मंथन करना चाहिए जो उन्होंने बताए है। यशवंत सिन्हा ने ट्वीट किया- सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों द्वारा की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस निश्चित रूप से अभूतपूर्व थी। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जब राष्ट्रीय हित का दाव होता है तब व्यापार के सामान्य नियम लागू नहीं होते हैं।
उन्होंने एक के बाद एक कई ट्वीट करते हुए लिखा- मैं कुछ टिप्पणियां देख रहा हूं, चारों जजों के साथ अडिग होकर खड़ा हूं। उनकी आलोचना करने के बजाय उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों पर बात करनी चाहिए। अगर शीर्ष अदालत समझौते पर चलती हैं तो लोकतंत्र को जोखिम में समझना चाहिए। उन्होंने कहा कि चारों जज जिस ओर इशारा कर रहे हैं वह एकदम साफ और तेज सुनाई देने वाला है। उम्मीद करता हूं कि जज लोया की मौत से परदा उठेगा।
आपको बता दें कि यह इस तरह की पहली घटना है जब सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने मीडिया के सामने शीर्ष अदालत के कामकाम को लेकर गड़बड़ियों को उजागर किया। चारों जजों ने बताया कि उन्होंने इससे पहले कोर्ट के रवैये को लेकर चीफ जस्टिस को चिट्ठी भेजी थी लेकिन उस पर कोई विचार होता न यह कदम उठाना पड़ा।