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राज्यपाल राम नाईक ने 1857 के महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बहादुर शाह जफर को याद किया

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी द्वारा आयोजित ‘1857 के महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बहादुर शाह जफर के जीवन पर आधारित‘ कार्यक्रम में उपस्थित हुये। उन्होंने कहा कि सबसे पहले मैं बहादुर शाह जफर के परपोते प्रिंस मिर्जा फैजुद्दीन बहादुर शाह जफर तृतीय का यहां स्वागत एवं अभिनन्दन करताहूँ तथा मैं 1857 के महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बहादुर शाह जफर को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ। उन्होंने कहा कि 1857 की इस पहली जंग को अंग्रेजों ने हुकूमत के खिलाफ बगावत का नाम दिया था पर वीर सावरकर ने इसे पहला स्वतंत्रता समर कहकर देश के सामने सही बात रखी।

राज्यपाल ने कहा कि अंग्रेजी हुकूमत ने बहादुर शाह जफर को देश के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में सैनिकों का नेतृत्व करने के कारण मुल्क बदर कर रंगून की जेल में कैद कर दिया था। रंगून जेल में ही 7 नवम्बर, 1862 को बहादुर शाह जफर की मृत्यु हो गई। 1857 की इस पहली जंग को अंग्रेजों ने हुकूमत के खिलाफ बगावत का नाम दिया था पर वीर सावरकर ने इसे पहला स्वतंत्रता समर कहकर देश के सामने सही बात रखी। राज्यपाल ने कहा कि अंग्रेजी हुकूमत ने बहादुर शाह जफर को देश के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में सैनिकों का नेतृत्व करने के कारण मुल्क बदर कर रंगून की जेल में कैद कर दिया था। रंगून जेल में ही 7 नवम्बर, 1862 को बहादुर शाह जफर की मृत्यु हो गई।

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