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राजेंद्र नगर स्थित टीबी अस्पताल में अफसरों के बीच बंद कमरे में झड़प

 

लखनऊ।

राजेंद्र नगर स्थित टीबी अस्पताल में बंद कमरे में झड़प हो गई। कमरे से जोर-जोर से आ रही आवाजों को सुनकर वहां के कर्मचारी इकट्ठा हो गए। हंगामे की वजह से लोगों में अफरा-तफरी मच गई। कमरे से अमर्यादित भाषा भी बाहर सुनाई देने लगी। कमरे में बंद दोनों अफसरों के बीच हाथापाई तक की नौबत आ गई थी। उसी दौरान एक अफसर कमरे से बाहर निकलकर भाग गए।

सुबह डिप्टी डीटीओ अपने कमरे में ड्यूटी पर थे। कुछ ही देर बाद वहां पर डीटीओ आ गए। वह कमरे में गए तो कुछ ही देर में दोनों में तीखी बहस और झड़प होने लगी। अंदर से आवाजें आने पर कर्मचारी जुट गए। आवाज इतनी तेज थी कि मौजूद मरीज भी शांत हो गए। जिसके बाद अस्पतालों के काम भी कुछ देर के लिए ठप हो गए  दोनों अफसर इस समय टीबी दफ्तर के अलावा सीएमओ कार्यालय में भी कई जिम्मेदारी वाले काम देख रहे हैं।

डिप्टी डीटीओ के पास दिव्यांग बोर्ड, चिकित्सा प्रतिपूर्ति, पंजीकरण निजी अस्पताल, क्लीनिक एवं डॉयग्नोस्टिक एवं सामान्य चिकित्सा अवकाश का कार्य है। वहीं, डीटीओ को भंडार एवं एनएचएम का काम सीएमओ स्तर से एसीएमओ डॉ अजय राजा के अवकाश पर चले जाने के बाद दिया गया है। अहम बात यह है कि सीएमओ स्तर से लापरवाही का आलम यह है कि टीबी के अफसरों को कार्यालय में तमाम काम दे दिया गया है। जबकि प्रधानमंत्री 2025 तक टीबी मुक्त भारत के लिए लगातार अभियान चला रहे हैं। यह अफसर इस जिम्मेदारी वाले काम को किनारे रख दूसरे कार्यों में ज्यादा लिप्त हैं। दोनों अफसरों का कहना है कि कोई मारपीट नहीं हुई है। वह सिर्फ आपस में बात कर रहे थे। वहीं सीएमओ से लेकर कार्यालय के अफसर भी मामले की जानकारी देने से बचते रहे हैं।

सीएमओ कार्यालय में तीन दिन पहले डॉक्टरों के साथ हुई मारपीट के बाद राजधानी के सभी पीएचसी डॉक्टर भी लामंबद हो गए हैं। उन्होंने सीएमओ कार्यालय में एसीएमओ डॉ। अजय राजा की जगह प्रभार देख रहे आरोपित अफसर और कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। इसके साथ ही उन्होंने बैठक कर आंदोलन की रणनीति भी तय की है।

इन सभी मामलों में डॉक्टरों का एक प्रतिनिधिमंडल आज शनिवार को स्वास्थ्य मंत्री के साथ बैठक करेगा। माना जा रहा है कि अगर बात नहीं बनी तो रविवार को होने वाले मुख्यमंत्री आरोग्य मेला, 17 से शुरू हो रहे फाइलेरिया अभियान समेत कई राष्ट्रीय कार्यक्रम के काम प्रभावित हो सकते हैं।

लाखों रुपए के बकाए बिलों के भुगतान को लेकर पीएचसी के डॉक्टरों की एसीएमओ एवं डीटीओ डॉ। बीके सिंह से बुधवार को बहस हुई थी। जिसके बाद कर्मचारी विपिन गुप्ता एवं अन्य साथियों ने डॉक्टरों से अभद्रता की। सीएमओ कार्यालय के बाहर कर्मचारियों ने इकट्ठा होकर डॉक्टरों पर हमला बोलकर पीटा था। सीएमओ कार्यालय में हुए इस मामले को अब अफसर हर स्तर से दबाने में जुटे हुए हैं। दोनों ओर से मारपीट आदि धाराओं में एफआईआर भी दर्ज हो चुकी है। सीएमओ स्तर से बनी कमेटी मामले की जांच कर रही है, लेकिन कोई अफसर कुछ बयान देने से बच रहा है।

इस समय सीएमओ स्तर से डीटीओ डॉ। बीके सिंह को भंडार एवं एनएचएम के काम की जिम्मेदारी दे रखी है। पीएचसी में कई कार्य एवं खरीदारी हुई। रोगी कल्याण समिति के बिल पीएचसी के प्रभारियों ने लगाकर सीएमओ कार्यालय भेज दिया। मार्च में वित्तीय वर्ष का समापन होना है। ऐसे में बिलों को जल्द ही पास होना जरूरी है। आरोप है कि डॉ। बीके सिंह हर बिल पर बेवजह की आपत्ति और उसका कई बार वैरिफिकेशन कराने में लगे हैं। डॉक्टरों का आरोप है कि कमीशनबाजी के चक्कर में बिल नहीं पास हो रहे हैं। पीएचसी के प्रभारी इससे परेशान हैं कि उन्होंने सारे काम करा लिए हैं। वेंडरों के बिल का भुगतान होना जरूरी है

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