लखनऊ : समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि केन्द्र की भाजपा सरकार के चार साल देशवासियों के लिए घोर निराशा के रहे हैं। लंबे चैडे़ वादों से मतदाताओं को सम्मोहित कर भाजपा ने सत्ता तो हथिया ली लेकिन वह जन अपेक्षाओं पर किसी भी तरह खरी नहीं उतरी है। समाज को बांटने की राजनीति के हावी रहते विकास की धारा अवरूद्ध होती गई है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत के पड़ोसी देशों से संवंधो में सुधार नहीं हुआ और प्रधानमंत्री जी एजेंडा-विहीन विदेश यात्राएं करते रहे हैं । उन्हें देश की ‘जीरो-डिलेवरी सरकार‘ कहा जाए तो अनुचित नहीं होगा।‘‘राजनीति में भ्रष्टाचार को प्रश्रय, बैंकिग सिस्टम में विफलता, घोटालेबाज आजाद, पेट्रोल डीजल के दामों में उछाल, मंहगाई की मार, नोटबंदी-जीएसटी से व्यापार चैपट, नौकरियों से छंटनी, निवेश के नाम पर दिखावा, दलित, महिलाओं पर अत्याचारों में वृद्धि और सामाजिक विषमता तथा रागद्वेष की कार्रवाइयां यही भाजपा सरकार की चार साल की उपलब्धियां रही है।
चार साल में आर्थिक कुप्रबंधन के चलते आम आदमी का जीना दूभर हो गया है। नोटबंदी और जीएसटी के कारण कृषि, व्यापार सभी चैपट हुए हैं और रोजगार सृजन की जगह नौकरियों से बड़े पैमाने पर कर्मचारियों की छंटनी हुई है। 2 करोड़ रोजगार पाने की नौजवानों की आशा बुरी तरह धूमिल हुई है। कहां तो वादा था कि फसल का डेढ गुना दाम मिलेगा और कहां अब उत्पादन लागत भी किसान को नहीं मिल रही है। कर्ज में डूबे किसान को आत्महत्या के अलावा दूसरा कोई रास्ता नहीं सूझ रहा है।
केंद्र में भाजपा के चार साल में असहिष्णुता का भयानक दौर रहा है। दलितों और अल्पसंख्यकों में असुरक्षा, संवैधानिक संस्थानों के साथ मनमानी, विपक्ष के प्रति तिरस्कार की भावना, विरोधी आवाज पर क्रूर दमनात्मक कार्यवाही और संविधान की अनदेखी रोजमर्रा की बात बन गई है। आरएसएस के रिमोट से संचालित भाजपा ने लोकतंत्र की सभी मान्यताओं और स्वतंत्रता आंदोलन के आदर्शो को ध्वस्त करने का काम किया है।
भाजपा सरकार के चार सालों में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सबसे ज्यादा प्रहार हुए है। राजनीति में भाषा की शिष्टता और आचरण की शालीनता का पक्ष प्रभावित हुआ है। सत्तामद में दंभ की भाषा का प्रयोग और बदले की भावना से कामकाज जनता के विश्वास के साथ छल है। पूरे चार साल प्रधानमंत्री जी और उनके नेतृत्व में भारत सरकार सिर्फ सामाजिक सौहार्द को चोट पहुंचाने और जनतांत्रिक सोच में अवरोध पैदा करने का ही काम करती रही है। भाजपा के लिए सत्ता ही लक्ष्य है और अंतिम साध्य-साधन भी।
निष्चित रूप से भाजपा की प्राथमिकताओं में गांव, गरीब, किसान, श्रमिक की जगह कारपोरेट समाज है। जिन बड़े पूंजी घरानों को बैंकों से करोड़ो का कर्ज बांटा गया वे देश छोड़कर विदेश भाग गए। देश की प्रगति अवरूद्ध है और हिंसक प्रवृत्तियो को उकसाया गया है। कह सकते हैं कि इन चार सालो में देश आतंक, भय और असहिष्णुता की राजनीति के गंभीर दौर से गुजरा है और लोकतंत्र, समाजवाद तथा सौहार्द खतरे में पड़ गया है। जनता का क्रोध आक्रोश बन गया है। उसके विस्फोट का सन् 2019 के चुनावों में भाजपा को सामना करना पड़ेगा।
Loading...