बिहार: चारा घोटाले में सजा काट रहे राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के लिए आज बेहद अहम हैं। इसकी वजह रांची हाईकोर्ट में उनकी जमानत याचिका पर हो रही सुनवाई है। कोर्ट में लालू की तरफ से बढ़ती उम्र और सेहत को वजह बताते जमानत देने की बात कही गई है। कोर्ट में लालू की तरफ से कांग्रेस के नेता और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल पैरवी करेंगे। बेहतर इलाज कराने के लिए लालू की तरफ से कोर्ट से जमानत देने की बात कही गई है। पिछली बार 21 दिसंबर को सीबीआई के निवेदन पर कोर्ट ने जमानत याचिका पर सुनवाई टालकर चार जनवरी की तारीख तय दी थी। लालू फिलहाल रांची के रिम्स में अपना इलाज करा रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक राजद सुप्रीमों डायबीटिज, क्रॉनिक किडनी और हार्ट समेत करीब 11 गंभीर बीमारियों का इलाज करा रहे हैं।
समर्थक न्यायिक प्रक्रिया में विशवास जताते हुए अपने नीता को जमानत मिलने की उम्मीद जता रहे हैं वहीं विरोधी जमानत मांगने की मंशा पर सवाल उठा रहे हैं। लोजपा संसदीय दल के नेता चिराग पासवान कहते हैं कि लालू तो रांची से ही महागठबंधन चला रहे हैं, वह अंदर रहें या बाहर, क्या फर्क पड़ता है? सबकी निगाहें कोर्ट के आदेश पर टिकी है। कोर्ट का फैसला तय करेगा कि लालू मकर संक्रांति के दिन चूड़ा-दही पटना स्थित आवास पर खाएंगे या जेल (अस्पताल) में। जहां एक तरफ पटना में लालू आवास पर बड़े नेता राबड़ी देवी व तेजस्वी यादव से मिल रहे हैं वहीं दूसरी तरफ लालू की जमानत से पहले समर्थकों की धड़कने बढ़ी हुई है। बता दें कि रांची के होटवार जेल में अपनी सजा काट रहे लालू को पहले भी औपबंधिक जमानत मिल चुकी है।
पिछले साल 27 अगस्त को हाईकोर्ट ने उनकी जमानत को खारिज करते हुए 72 घंटे म सरेंडर करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि लालू को सजायाफ्ता होने की वजह ये या तो जेल में होना चाहिए या अस्पताल में। लालू के वकील प्रभात कुमार की माने तो उनकी तरफ से चारा घोटाला के दुमका कोषागार, चाईबासा कोषागार और देवघर कोषागार के मामलों में जमानत मांगी गई है। गौरतलब है कि देवघर कोषागार मामला (आरसी 64 ए/96) में लालू को छह जनवरी 2018 को साढ़े तीन साल की सजा सुनाई गई। चाईबासा कोषागार मामला (आरसी 68 ए/96) में कोर्ट ने लालू को 24 जनवरी 2018 को पांच साल की सजा दी। दुमका कोषागार मामला (आरसी 38 ए/96) में 24 मार्च 2018 को लालू को सात-सात साल की सजा सुनाई गई थी।