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रविवार को है ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा, जानिए कैसे करें सूर्य देव की उपासना

16 जून, रविवार को ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा है। हिंदू धर्म में पूर्णिमा और अमावस्या को विशेष तिथि माना गया है। इस बार पूर्णिमा रविवार के दिन पड़ रही है। इसके साथ ही वट सावित्री का व्रत भी रखा जाएगा। ज्योतिषाचार्यो के अनुसार इस बार पूर्णिमा रविवार के दिन पड़ने से इसका महत्व काफी बढ़ गया है। ज्योतिष में अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य गलत भाव में है उसके मान-सम्मान में गिरावट आती है। जबकि इसके विपरीत सूर्य की शुभ स्थिति में यश बढ़ता है। सूर्य का शुभ फल प्राप्त करने के लिए पूर्मिणा पर सूर्य की विशेष पूजा करनी चाहिए। आइए जानते हैं पूर्णिमा और रविवार के संयोग से कैसे करनी चाहिए सूर्य देव की उपासना।

– पूर्णिमा वाले दिन जल्दी उठे और सभी देवी-देवता की पूजा करने के बाद सूर्य देव को तांबे के पात्र में जल भर अर्घ्य दें।
– चांबे के पात्र में जल के साथ चावल और लाल फूल भी रखना चाहिए।
– जल चढ़ाते समय ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए।
– पूर्णिमा पर सूर्य देव को जल देने के बाद किसी गरीब को दान भी करना शुभफलदायक होता है।

सूर्य देवता का व्रत
भगवान भास्कर की शुभ ऊर्जा को पाने के लिए १२ रविवार, ३० रविवार, या एक वर्ष तक व्रत रखा जा सकता है। व्रत के दिन स्नान—ध्यान के प्रश्चात तांबे की लोटे में शुद्ध जल, लाल रोली या चंदन, अक्षत, लाल पुष्प आदि डालकर ‘ॐ घृणि सूर्याय नमः’ मंत्र बोलते हुए अघ्र्य दें। साथ ही इस मंत्र का कम से कम ३ माला जप अवश्य करें। इस व्रत के प्रभाव से शुभ फल में वृद्धि, आरोग्य, शत्रु शमन तथा तेज प्राप्त होता है।

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