नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने विश्व प्रसिद्ध धरोहर ताजमहल के बेतरतीब रखरखाव को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार को फटकारते हुए आदेश दिया है कि इसके संरक्षण के लिए गंभीरता से काम किये जायं। न्यायमूर्ति एस. ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने ताजमहल के रखरखाव को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार को चार सप्ताह के भीतर नया दृष्टि पत्र सौंपने को कहा है जिसमें धरोहर के संरक्षण के लिए उठाये जाने वाले कदमों का उल्लेख हो। खंडपीठ ने कहा,“ हम ताजमहल को लेकर चिंतित हैं। हम विश्व के सात अजूबों में से एक ताजमहल के उचित रखरखाव और संरक्षण को लेकर गंभीर और चिंतित हैं।”शीर्ष न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा है कि बिना दृष्टिपत्र के सरकार के किसी और आवेदन पर सुनवाई नहीं करेंगे।
दृष्टिपत्र के बाद ही इस मामले की सुनवाई आगे बढ़ेगी। खंडपीठ ने सरकार से पूछा कि आगरा को धरोहर शहर घोषित कर सकते हैं या नहीं। इस मामले पर सरकार को दो महीने के अंदर अंतरिम रिपोर्ट दाखिल करने को कहा गया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने गत दिसंबर में ताज महल पर अपनी रिपोर्ट में कहा था कि आगरा में प्रदूषण के कारण विश्व धरोहर का रंग बदल रहा है। उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल उत्तर प्रदेश सरकार से ताजमहल को सदियों तक संरक्षित और सुरक्षित रखने के लिए दृष्टिपत्र सौंपने का आदेश दिया था।